नई दिल्ली: साल 2020 में कोरोना संक्रमण ने दुनिया को जब से अपनी चपेट में लिया उसके बाद से लोगों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समेत हर हेल्थ एक्सपर्ट ने कोरोना से बचने के लिए मास्क लगाने, दो गज दूरी का पालन करने और हाथों को समय-समय पर सैनिटाइज करने का मंत्र दिया. जिसका लोगों ने पालन करना भी शुरू किया. बचाव की यह तरकीब कोरोना को रोकने में तो सफल हुई ही, साथ ही भारत में कॉमन कोल्ड (Common Cold) और सीजनल फ्लू (Seasonal Flu) से भी बचाव में कारगर साबित हुई.


AIOCD के डेटा से हुआ खुलासा


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ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (All India Organisation of Chemist and Druggist) के अनुसार, भारत में फरवरी 2020 से फरवरी 2021 तक कॉमन कोल्ड (Common Cold) और फ्लू (Flu) की दवाओं की बिक्री में 14 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई.


देश के साढ़े 8 लाख दवा विक्रेताओं ने फरवरी 2019 से फरवरी 2020 के बीच कॉमन कोल्ड (Common Cold) और फ्लू (Flu) की 3 हजार 154 करोड़ रुपये की दवाइयां बेची थीं. लेकिन फरवरी 2020 से फरवरी 2021 तक वे सिर्फ 2 हजार 712 करोड़ रुपये की दवाइयां ही बेच पाए.ॉ


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इतने फीसदी कम हुए सीजनल फ्लू और कॉमन कोल्ड के मरीज


एआईओसीडी (AIOCD) के डेटा के मुताबिक, जनवरी-फरवरी के महीने में फ्लू और कॉमन कोल्ड (Common Cold) के सबसे ज्यादा मामले देश में आते हैं. साल 2020 के जनवरी-फरवरी में 300 करोड़ से ज्यादा की कॉमन कोल्ड (Common Cold) और फ्लू (Flu) की दवाएं बिकीं. वहीं साल 2021 के जनवरी-फरवरी में ये आंकड़ा घटकर 200 करोड़ ही रह गया.


कॉमन कोल्ड (Common Cold) और फ्लू (Flu) के अलावा मास्क का इस्तेमाल सांस के मरीजों (Respiratory Disease) के लिए भी काफी फायदेमंद रहा. फरवरी 2019-20 के मुकाबले फरवरी 2020-21 में सांस के मरीजों की संख्या में 28 प्रतिशत से ज्यादा की कमी दर्ज की गई है.


इस वजह से कम हुआ कॉमन कोल्ड और सीजनल फ्लू का प्रकोप


नोएडा के यथार्थ हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर प्रखर गर्ग ने बताया कि पिछले वर्षों के मुकाबले इस साल उनके पास भी कॉमन कोल्ड (Common Cold), फ्लू (Flu) और सांस के मरीज कम आए. इस कमी के पीछे डॉक्टर गर्ग का मानना है कि चूंकि लोग कोरोना से बचने के लिए रोजाना मास्क पहनकर सार्वजनिक जगहों पर जा रहे हैं और अपने हाथों को साफ रख रहें हैं, इसकी की वजह से भारत में यह कमी दर्ज हो पाई है.


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यही नहीं डॉक्टर गर्ग का यह भी मानना है कि मास्क लगाने और हाथों को सैनिटाइज करने की आदत को लोगों को लंबे समय तक पालन करना ही चाहिए क्योंकि यह एक अच्छी आदत कोरोना के साथ-साथ अन्य कई बीमारियों को भी दूर करती है.


संक्रमण रोकने में भारतीयों की इस आदत ने निभाई अहम भूमिका


जहां एक तरफ कोरोना महामारी से खुद को बचाने के लिए लोगों ने मास्क और सैनिटाइजर का रोजाना इस्तेमाल करना तो शुरू किया तो दूसरी तरफ हाथ जोड़कर नमस्ते करने की सदियों पुरानी भारतीय आदत ने भी भारत के लोगों को उन छोटी-छोटी बीमारियों से बचाने में अहम भूमिका निभाई जिससे आम भारतीय लगभग हर साल परेशान रहता था.


4 गुना तक कम किया जा सकता है कॉमन कोल्ड और सीजनल फ्लू


कोरोना महामारी के दुनिया में दस्तक देने के तकरीबन 10 साल पहले साल 2009 में अमेरिका की Centres for Disease Control and Prevention (CDC) ने अपनी एक रिसर्च में बताया था कि सार्वजनिक जगहों पर फेस मास्क और सैनिटाइजर के रोजाना इस्तेमाल से अमेरिका समेत पूरी दुनिया में एक साल में ही कॉमन कोल्ड और फ्लू के मरीजों की संख्या आधी हो सकती है.


एक दशक पुरानी इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि अगर पूरे विश्व में लोग ऑफिस और स्कूल जैसी बंद जगहों पर भी मास्क का इस्तेमाल करना शुरू कर दें, जैसा कि लोग अभी कोरोना काल में कर रहे हैं तो सांस की बीमारी और एलर्जी के मरीजों की संख्या 4 गुना तक कम हो जाएगी. लेकिन ज्यादातर लोगों ने इस रिपोर्ट को फालतू या मूर्खतापूर्ण समझते हुए अनदेखा कर दिया था. लेकिन अब 10 साल बाद पता चल रहा है कि यह रिपोर्ट कितनी कारगर थी.


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