उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों की एक टीम बनाई है. यह टीम 10 विधानसभा सीटों पर आगामी उपचुनाव की तैयारियां देखेगी. इन 10 सीटों पर इसी साल उपचुनाव संभावित हैं. अभी बीजेपी संगठन ने भी जमीन पर काम शुरू नहीं किया है, उससे पहले ही योगी का सक्रिय होना एक संदेश है. वह भी ऐसे समय में, जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ उनकी अनबन की चर्चा जोरों पर है. योगी ने अपने 16 मंत्रियों को जिम्मेदारी दी है कि सभी 10 सीटों पर उपचुनाव में जीत दर्ज करनी है.


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योगी की सक्रियता ने बहुतों को हैरान कर लिया है. हालांकि, राजनीतिक एक्सपर्ट्स इसे छवि चमकाने की कोशिश के रूप में देखते हैं. लोकसभा चुनाव में यूपी के भीतर बीजेपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. नतीजों ने योगी की इमेज को तगड़ा डेंट लगाया. उपचुनाव के नतीजे योगी की छवि के लिए काफी अहम हैं, और इसलिए उन्होंने कमान अपने हाथ में ले ली है.


बीजेपी की स्टेट यूनिट को है खबर


योगी के हालिया फैसले की जानकारी यूपी बीजेपी के नेतृत्व को भी है. पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख भूपेंद्र चौधरी और महासचिव (संगठन) धर्मपाल सिंह को सूचना दे दी गई थी. हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया ने बीजेपी सूत्रों के हवाले से लिखा कि योगी के अपनी टीम बनाने के फैसले को बीजेपी की संख्या बढ़ाने के प्रोएक्टिव कदम की तरह देखा जा रहा है.


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योगी के मंत्रियों को उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपने के दो दिन बाद, बीजेपी ने भी एक बैठक कर अपने इंचार्ज भी नियुक्त कर दिए. आगामी उपचुनावों को योगी की गवर्नेंस और यूपी बीजेपी के संगठन की ताकत के लिटमस टेस्ट की तरह देखा जा रहा है. उपचुनाव के नतीजे सरकार और संगठन के बीच अनबन की अटकलों पर भी विराम लगा सकते हैं.


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योगी की सक्रियता से बढ़ेंगी सीटें!


योगी की सक्रियता सिर्फ मंत्रियों के पेच कसने में ही नहीं, सीटों के हालात जानने में भी नजर आ रही है. मंत्रियों से फीडबैक लेने के बाद, योगी ने उन 10 सीटों पर पार्टी की स्थिति के बारे में भी जानकारी ली. अगर 2022 के विधानसभा चुनाव को आधार बनाएं तो इन 10 सीटों पर बीजेपी की राह आसान नहीं होने वाली. इन 10 सीटों में से समाजवादी पार्टी को 5, बीजेपी को 3 तथा उसके गठबंधन सहयोगी निषाद पार्टी और रालोद को एक-एक सीट मिली थी.