ZEE जानकारी: राफेल पर संसद में पेश की गई कैग रिपोर्ट
बुधवार को संसद में रफाल फाइटर जेट पर CAG की रिपोर्ट पेश हुई. और इस रिपोर्ट ने कांग्रेस के अर्धसत्य से पर्दा हटाने का काम किया है. इस रिपोर्ट से ये पता चला है कि UPA की तुलना में NDA के ज़माने में हुई डील सस्ती थी. इस रिपोर्ट में ये भी पता चला है कि NDA के समय में हुई डील में रफाल की Delivery जल्दी होगी. यानी रफाल की डील को अब CAG भी बेहतर बता रहा है.
आज सबसे पहले हम CAG की उस रिपोर्ट का विश्लेषण करेंगे, जिसने पिछले करीब दो वर्षों से कांग्रेस द्वारा फैलाई जा रही Fake News का पर्दाफाश कर दिया है. आज संसद में रफाल फाइटर जेट पर CAG की रिपोर्ट पेश हुई. और इस रिपोर्ट ने कांग्रेस के अर्धसत्य से पर्दा हटाने का काम किया है. इस रिपोर्ट से ये पता चला है कि UPA की तुलना में NDA के ज़माने में हुई डील सस्ती थी. इस रिपोर्ट में ये भी पता चला है कि NDA के समय में हुई डील में रफाल की Delivery जल्दी होगी. यानी रफाल की डील को अब CAG भी बेहतर बता रहा है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी ये कह चुका है कि रफाल डील में कोई घोटाला नहीं हुआ है. लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस की रफाल वाली बेचैनी शांत नहीं हो रही है. रफाल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी राहुल गांधी खुश नहीं थे और अब CAG की रिपोर्ट के बाद भी वो खुश नहीं हैं. पहले वो बड़े जोश के साथ कहते थे कि.. दिखाओ, कहां है CAG की रिपोर्ट ? रफाल पर CAG की रिपोर्ट पेश करो....और आज जब CAG की रिपोर्ट आ गई है, तो वो इस रिपोर्ट पर ही सवाल उठा रहे हैं.
हम बार बार ये बात कहते हैं कि ये Hit And Run वाली राजनीति है.. जिसके तहत नेता, आरोप लगाकर भाग जाते हैं.. और अपने आरोप को साबित करने के लिए कोई तथ्य नहीं देते. कांग्रेस आजकल यही राजनीति कर रही है. CAG का मतलब होता है - Comptroller and Auditor General, लेकिन राहुल गांधी ने CAG की नई परिभाषा निकाली है, वो CAG को 'चौकीदार Auditor General' कह रहे हैं. यानी अब वो तमाम संस्थाओं पर सवाल उठाने के बाद CAG पर भी सवाल उठा रहे हैं. इसका विश्लेषण हम आगे करेंगे, लेकिन सबसे पहले आपको ये जानना चाहिए कि CAG की इस रिपोर्ट में रफाल के बारे में क्या लिखा है? ये 141 पन्ने की रिपोर्ट है और आज हमने इसका अध्ययन किया है.
इस रिपोर्ट का शीर्षक है Capital Acquisition in Indian Air Force.
इस रिपोर्ट में लिखा है कि NDA सरकार के ज़माने में हुई 36 रफाल लड़ाकू विमान खरीदने की डील, UPA सरकार द्वारा की गई 2007 की डील की तुलना में 2.86% सस्ती थी. हालांकि इस रिपोर्ट में रफाल की कीमतों का ज़िक्र नहीं किया गया है.
CAG ने रक्षा मंत्रालय के उस तर्क को भी खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि 2016 में 36 रफाल विमान खरीदने की डील, 2007 के प्रस्ताव की तुलना में 9% सस्ती थी.
आपको बता दें कि NDA सरकार के समय में 2016 में फ्रांस से 36 रफाल लड़ाकू विमानों की खरीद का सौदा हुआ था और इससे पहले UPA के समय में 2007 में 126 रफाल विमानों का सौदा हुआ था, लेकिन कई शर्तों पर आम राय नहीं बन पाई थी.
रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि रफाल के इस नये Contract में 6 अलग अलग Packages हैं, जिनमें कुल 14 Items हैं. और इन 14 में से 7 Items पहली डील की तुलना में महंगे हैं, जबकि 3 Items पुराने दाम पर खरीदे गए गए हैं, और इसमें Basic Aircraft का दाम भी शामिल है.
इसके अलावा 4 Items पुरानी डील के मुकाबले सस्ती कीमत पर खरीदे गए हैं.
रफाल विमानों की Delivery के बारे में भी इस रिपोर्ट में विस्तार से लिखा गया है. CAG की रिपोर्ट में लिखा है कि 2007 के Contract के हिसाब से 18 विमान, Contract पर हस्ताक्षर होने के 50 महीने के बाद Deliver होने थे, जबकि बाकी के 18 विमान HAL यानी Hindustan Aeronautics Limited में बनने थे. और इनकी Delivery Contract पर हस्ताक्षर होने के 49 से 72 महीनों के भीतर होनी थी.
जबकि 2016 के Contract के हिसाब से, पहले 18 विमान, डील पर हस्ताक्षर होने के 36 से 53 महीनों के अंदर Deliver होने हैं और बाकी बचे हुए विमानों की Delivery 67 महीनों में होगी. यानी पुराने के मुकाबले नए Contract में रफाल विमानों की Delivery 5 महीने पहले हो जाएगी.
हालांकि CAG की रिपोर्ट में नई डील की कुछ कमियां भी बताई गई हैं. इसमें लिखा है कि 2007 में रफाल बनाने वाली कंपनी Dassault Aviation द्वारा की गई पेशकश में Performance और वित्तीय गारंटी भी दी गई थी. ये गारंटी, इस डील की रकम का 25 प्रतिशत थी. वहीं, 2016 के Contract में ऐसी कोई गारंटी नहीं है. CAG का मानना है कि इससे Dassault Aviation को बचत हुई है.
इस रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि नई डील में भारत सरकार को Sovereign Guarantee नहीं दी गई, बल्कि भारत ने फ्रांस के साथ Letter of Comfort पर समझौता किया.
यहां आपको ये समझना होगा कि इन दोनों में क्या फर्क है?
जब विमान या हथियार बेचने वाले देश की सरकार, ये गारंटी देती है कि अगर सौदे में कोई गड़बड़ हुई तो नुकसान की भरपाई वो देश करेगा, तो इसे Sovereign Guarantee कहा जाता है.
Letter of Comfort में भी ऐसा ही होता है, लेकिन इसमें एक ख़ास तरह की छूट होती है. इसके तहत नुकसान होने की स्थिति में विमान या हथियार बेचने वाला देश कानूनी तौर पर नुकसान की भरपाई के लिए बाध्य नहीं होता.
CAG की इस रिपोर्ट पर कैबिनेट मंत्री अरुण जेटली ने भी विस्तार से कुछ बिंदु समझाए हैं. उनका ये बयान आपको सुनना चाहिए. अरुण जेटली का कहना है कि आज CAG की रिपोर्ट से झूठ बोलने वालों का सिर देश के सामने झुक गया.
भारत में चुनाव के लिए मुद्दों की कमी नहीं है . लेकिन कांग्रेस पार्टी ने रफाल लड़ाकू विमान के सौदे पर ही चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. आज 16वीं लोकसभा के आखिरी दिन भी रफाल का मुद्दा छाया रहा . आज के विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और कई विपक्षी दल शामिल थे . इस प्रदर्शन में UPA की Chairperson सोनिया गांधी, कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हुए . 'चौकीदार चोर है' के नारों के साथ प्रधानमंत्री मोदी पर भ्रष्टाचार के दाग लगाने की भरपूर कोशिश की गई .
आज कांग्रेस संसदीय दल की बैठक भी हुई . जिसके बाद कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की . राहुल गांधी ने आज CAG रिपोर्ट के अंश पढ़कर, रफाल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने की कोशिश की . राहुल गांधी ने बीजेपी के इस दावे पर भी सवाल खड़े किए हैं कि बीजेपी वाली Deal... कांग्रेस की कथित Deal से सस्ती है.
हालांकि बड़ी बात ये है कि राहुल गांधी रफाल को लेकर थोड़े Confuse हो गये हैं. पहले वो CAG की रिपोर्ट पेश करने की मांग कर रहे थे. लेकिन जब CAG की रिपोर्ट पेश होने का मौका आया तो उससे पहले ही वो ये कहने लगे कि उन्हें CAG और उसकी रिपोर्ट पर भरोसा नहीं है...