नई दिल्ली: भारतीय सेना ने अपनी बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती गलवान घाटी में की है. चीन की तरफ से गलवान घाटी में बख्तरबंद गाड़ियां लाने के बाद ये जवाबी तैनाती की गई. चीन की बख्तरबंद गाड़ियों से भारतीय सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण डीएसडीबीओ रोड को खतरा पैदा हो गया था. भारतीय सेना की ये बख्तरबंद गाड़ियां (बीएमपी) न केवल दुश्मन पर मिसाइलों, मोर्टार, रॉकेट्स और मशीनगन से जबरदस्त हमला कर सकती हैं बल्कि इसके अंदर बैठकर सैनिक मैदाने जंग की हर गोलाबारी से सुरक्षित रहकर आगे बढ़ सकते हैं.


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गलवान घाटी और श्योक नदी के संगम के आगे भारतीय सेना की बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती से एक ऐसी फौलादी दीवार बन गई है जिसे पार कर पाना चीनी सेना के लिए संभव नहीं है. भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री की बीएमपी की तैनाती डीएसडीबीओ रोड के साथ भी है और गलवान घाटी के मुहाने पर भी है. बख्तरबंद गाड़ियों की दौलत बेग ओल्डी की तरफ जाने वाले रास्ते पर भी तैनाती की गई है. इस इलाके में भी चीनी सेना की तादाद बढ़ी है और एलएसी के दूसरी तरफ मैदानी इलाका होने की वजह से चीनी सेना के लिए तेज रफ्तार से टैंक और गाड़ियां लाना आसान है.


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भारतीय सेना ने कुछ साल पहले लद्दाख में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती शुरू की थी. लद्दाख के खुले मैदानों में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के लिए कार्रवाई करना आसान है. चीन ने अधिकृत तिब्बत में सड़कों और रेलों का जाल बना लिया है. लेकिन भारत की तरफ इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का काम धीमी रफ्तार से चलता रहा. ऐसे में अगर चीन की तरफ से टैंकों का हमला शुरू होता है तो भारतीय सेना के लिए मुकाबला मुश्किल हो जाता. इसीलिए भारत ने टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को लद्दाख के मैदानों में ले जाना शुरू किया. इस तनाव के दौरान भारतीय सेना ने बड़ी तादाद में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को लद्दाख में तैनात किया है.