Zee Sammelan 2022: ज़ी न्यूज के खास कार्यक्रम जी सम्मेलन में शनिवार को सेहत से जुड़े सवालों पर भी एक्सपर्ट्स ने अपनी राय दी. इस दौरान कार्यक्रम में स्टार इमैजिंग के मालिक समीर भाटी, यथार्थ ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के सीईओ अमित सिंह और फेलिक्स हॉस्पिटल की मैनेजिंग डायरेक्टर रश्मि गुप्ता शामिल हुईं. जहां इन्होंने कोविड के बाद शरीर पर पड़ने वाले असर के साथ ही सेहत के अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय रखी.


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शरीर के हर हिस्से पर असर


इस दौरान कार्यक्रम में डॉ. रश्मि गुप्ता ने बताया कि कोविड से शरीर के हर हिस्से पर असर पड़ रहा है. हालांकि करना ये चाहिए कि कोविड से रिकवर होने के बाद भी मेडिकल चेकअप कराना चाहिए. वहीं इससे मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ा है. लोग चीजों को भूलने लगे हैं. ऐसे में रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाएंगे तो बीमारियां सामने आती रहेंगी. 


प्रिवेंटिव चेकअप पर दें ध्‍यान


उन्होंने कहा कि हाल में कई लोग अचानक गुजर गए. फेमस सिंगर केके और एक्‍टर सिद्धार्थ शुक्‍ला जैसे नाम जेहन में आते हैं. इस संदर्भ में डॉ. रश्मि गुप्‍ता ने कहा कि हमको प्रिवेंटिव चेकअप पर ध्‍यान देना चाहिए. वहीं कोविड के बाद सबसे बड़ी समस्‍या ब्रेन फॉगिंग की आ रही है. हम सामने बैठे व्‍यक्ति का नाम भूल जाते हैं. इस बारे में डॉ. रश्मि गुप्‍ता ने कहा कि कोविड के बाद दुनिया बदल गई है. कोविड बॉडी के हर अंग को प्रभावित करता है.


फिजिकल फिट होना ही फिटनेस नहीं


डॉ. समीर भाटी ने कहा कि फिटनेस की बात करते हैं तो लोग फिजिकल फिटनेस को ही फिट होना मानते हैं. हालांकि ऐसा नहीं होता है. वहीं जब कभी भी मेडिकल टेस्ट करवाना होता है तो अपने डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री जरूर बताएं. वहीं भूलने की बीमारी को लेकर समीर भाटी ने कहा कि विटामिन डी और विटामिन बी 12 की कमी नर्वस सिस्‍टम को कमजोर करती है. इसका चेकअप कराना चाहिए और अपनी इम्‍यूनिटी को बढ़ाने के लिए इस कमी को दूर करना चाहिए.


इंश्योरेंस से होता है फायदा


वहीं डॉक्टर अमित सिंह ने कहा कि जब हम बीमार होते हैं तभी डॉक्टर के पास जाते हैं लेकिन लोग इससे पहले जब स्वस्थ होते हैं तब अपना चेकअप नहीं करवाते हैं. अब 30-35 साल की उम्र में भी कार्डिएक अरेस्ट लोगों को आ रहे हैं. इससे बचने के लिए लोगों को अपना मेडिकल टेस्ट समय-समय पर करवाते रहना चाहिए. वहीं इंश्योरेंस को लेकर अमित सिंह ने कहा कि इसका फायदा लोगों को मिलता है. लोगों को मेडिकल इंश्योरेंस की तरफ जाना चाहिए. इंश्योरेंस के कारण मेडिकल से जुड़े खर्चों को कम किया जा सकता है.


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