High Body Mass Index: हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले तीन में से दो लोगों की मौत के लिए दिल की बीमारियों (सीवीडी) का जिम्मेदार है. एक स्टडी में यह दावा किया गया है. यह स्टडी ऐसे वक्त पर सामने आई है जब पिछले चार दशकों में मोटापे के मामले दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं और मौजूदा समय में यह एक अरब से भी ज्यादा लोगों को प्रभावित कर रहा है.


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दिल की बीमारी से होती हैं BMI से जुड़ी मौतें


बेल्जियम के एंटवर्प यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एमलाइन वान क्रेनेनब्रोएक ने कहा, 'जरूरी बात यह है कि हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) से संबंधित 67.5 प्रतिशत मौतें हृदय रोग (सीवीडी) के कारण होती हैं.' मोटापे के कारण एथेरोस्क्लेरोटिक रोग, हृदयाघात, थ्रोम्बोम्बोलिक रोग, अचानक हृदयाघात आदि जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है. वैन क्रेनेनब्रोक ने कहा कि इस मामले के बावजूद, 'मोटापे को अन्य हृदय संबंधी जोखिम कारकों की तुलना में कम पहचाना गया है और इस पर उचित ध्यान नहीं दिया गया है.'


मोटापा न केवल मधुमेह, डिसलिपिडेमिया, हाई बीपी और धमनी हाई बीपी जैसे सुस्थापित हृदय संबंधी जोखिम कारकों में योगदान देता है, बल्कि हृदय की संरचना और कार्य पर भी इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और यह एथेरोस्क्लेरोटिक और गैर-एथेरोस्क्लेरोटिक दोनों प्रकार के सीवीडी के विकास का कारण बनता है. मोटापा विभिन्न अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है और कई बड़ी बीमारियों को जन्म देता है.


स्टडी से यह भी पता चला कि डायबिटीज और मोटापे का आपस में गहरा संबंध है. डायबिटीज के 80-85 प्रतिशत रोगी मोटे या अधिक वजन वाले होते हैं. दूसरी ओर, मोटे लोगों में टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने की संभावना सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना (क्रमशः 20 प्रतिशत बनाम 7.3 प्रतिशत) अधिक होती है. मोटापे से बचा जा सकता है. मोटापे के उपचार में दवा, आहार, व्यवहार और शारीरिक उपचार शामिल हैं. 


(इनपुट-IANS)