चंडीगढ़ स्थित पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि दिल की बीमारी से पीड़ित महिलाओं में से 44% अधिक वजन वाली थीं. अध्ययन के अनुसार, दिल की बीमारी को लेकर आम धारणा के विपरीत, इसके रिस्क फैक्टर महिलाओं में कहीं ज्यादा पाए जाते हैं और साथ ही दिल की बीमारी से ग्रस्त महिलाओं के स्वस्थ होने की संभावना भी पुरुषों की तुलना में कम होती है.


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अध्ययन में पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया. इस दौरान पाया गया कि दिल की बीमारी से पीड़ित 13-15% महिलाएं 50 साल से कम उम्र की थीं. यह आंकड़ा चिंताजनक है क्योंकि आम तौर पर दिल की बीमारी को उम्र से जुड़ी बीमारी माना जाता है.


एक्सपर्ट का क्या कहना?
पीजीआईएमर के कार्डियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर और अध्ययन की रिसर्च टीम की सदस्य डॉ. नीलम दहिया ने बताया कि अध्ययन में शामिल महिलाओं में से केवल 1% महिलाएं ही रोजाना न्यूनतम दो फल और तीन सब्जियां खाती थीं. उन्होंने बताया कि अध्ययन में शामिल ज्यादातर महिलाओं को दिल की बीमारी और इससे जुड़े रिस्क फैक्टर के बारे में जागरूकता भी काफी कम थी.


जागरूकता फैलाने की जरूरत
डॉ. दहिया ने चिंता जताते हुए कहा कि दिल की बीमारी के रिस्क फैक्टर के बारे में जागरूकता फैलाने और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा मरीजों को सही जानकारी देने में कमी देखी गई है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है.


दिल की सेहत का रखें खास ख्याल
अध्ययन के नतीजे यह संकेत देते हैं कि महिलाओं को अपने दिल की सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए. नियमित व्यायाम, बैलेंस डाइट और वजन पर कंट्रोल रखना दिल की बीमारी के खतरे को कम करने में कारगर साबित हो सकता है. साथ ही डॉक्टरों से नियमित जांच करवाना और दिल की बीमारी के लक्षणों के प्रति सतर्क रहना भी जरूरी है.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.