महिलाओं से ज्यादा क्या पुरुष अकेलेपन का शिकार होते हैं? रिसर्च का चौंकाने वाला दावा
किशोरावस्था से लेकर बुढ़ापे तक, पुरुषों में सामाजिक संबंधों की कमी और अकेलेपन का स्तर महिलाओं की तुलना में लगातार हाई रहता है.
अकेलापन आज के समय की एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है. लंबे समय से ये समझा जाता रहा है कि महिलाएं ज्यादा अकेलापन महसूस करती हैं. लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इस अध्ययन के अनुसार, पुरुष महिलाओं की तुलना में ज्यादा सामाजिक अकेलेपन का अनुभव करते हैं.
यह अध्ययन जर्नल ऑफ हेल्थ एंड सोशल बिहेवियर में प्रकाशित हुआ है. इसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि किशोरावस्था से लेकर बुढ़ापे तक, पुरुषों में सामाजिक संबंधों की कमी और अकेलेपन का स्तर महिलाओं की तुलना में लगातार ऊंचा रहता है. अध्ययन के अनुसार, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं.
पुरुषों की सामाजिक बातचीत का कम होना
पुरुषों को अक्सर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता है. इससे उनके लिए करीबी रिश्ते बनाना मुश्किल हो जाता है.
दोस्ती निभाने में दिक्कत
पुरुषों को अक्सर गहरी दोस्ती निभाने में दिक्कत होती है. उनकी दोस्ती ज्यादातर एक्टिविटी पर आधारित होती है, इमोशनल जुड़ाव कम होता है.
रिश्तों के टूटने पर संभलने में परेशानी
रिश्तों के टूटने पर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को संभलने में ज्यादा परेशानी होती है. वे अक्सर अकेले रह जाते हैं और नए रिश्ते बनाने में हिचकिचाते हैं.
हालांकि, अध्ययन में यह भी पाया गया कि विवाहित पुरुषों में अकेलापन का स्तर कम होता है. वहीं, अविवाहित और जिनके रिश्ते टूट चुके हैं, उन पुरुषों में अकेलापन ज्यादा पाया गया. यह शोध पुरुषों के मेंटल हेल्थ पर अकेलेपन के प्रभाव को उजागर करता है. पुरुषों के लिए भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करना और मजबूत सामाजिक संबंध बनाना जरूरी है.
अध्ययन के मुख्य लेखक का कहना है कि पुरुषों को भी अकेलेपन की समस्या से जूझना पड़ता है. इस मुद्दे पर बातचीत शुरू करने और पुरुषों को सामाजिक संबंध बनाने में मदद करने की जरूरत है. तो क्या इसका मतलब है कि महिलाएं बिल्कुल अकेलापन नहीं महसूस करतीं? नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है. महिलाएं भी अकेलेपन का अनुभव करती हैं. लेकिन यह शोध इस बात की ओर इशारा करता है कि अकेलेपन की समस्या पुरुषों में भी गंभीर है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.