Arthritis: बुजुर्गों ही नहीं, बच्चों और युवाओं को भी हो सकती है आर्थराइटिस की बीमारी
हर साल 12 अक्टूबर को वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता है, जिसका मकसद इस बीमारी को लेकर लोगों को जागरूकता पैदा करना और इसके इलाज को प्रमोट करना है.
What Is Arthritis: आर्थराइटिस का मतलब होता है जोड़ों में सूजन और दर्द. यह एक सामान्य बीमारी है, जो कई प्रकार की हो सकती है और इसके लक्षणों में जकड़न, दर्द और सूजन शामिल हैं. कुछ कम सामान्य लक्षणों में बिना वजह बुखार और थकान भी हो सकती है. समय के साथ, आर्थराइटिस की वजह से जोड़ों की एक्टिविटी सीमित हो सकती है और दिक्कतें भी पैदा हो सकती हैं.
आमतौर पर, आर्थराइटिस को एक ऐसी बीमारी माना जाता है, जो बुजुर्गों को प्रभावित करती है, लेकिन यह गलत धारणा है. मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड (मुंबई) के लैब प्रमुख डॉ. मधुरा जोगवार बताती हैं कि यह बीमारी मिडिल और यंग एज के लोगों को भी हो सकती है. इसके अलावा, एक और मिथ ये है कि आर्थराइटिस बच्चों को नहीं हो सकता, जबकि यह भी गलत है. जुवेनाइल आर्थराइटिस एक प्रकार की आर्थराइटिस है, जो 16 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है और इससे उनके विकास में रुकावट और नजर से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं.
भारत में आम है ये बीमारी
ऑस्टियोआर्थराइटिस भारत में सबसे अधिक फैलने वाली मस्कुलोस्केलेटल बीमारी है, जिसका प्रचलन 22-30% तक है. ये बीमारी तब होती है जब हड्डियों के बीच का कार्टिलेज क्षतिग्रस्त हो जाता है. घुटने, कूल्हे और हाथ के जोड़ों में यह अधिक देखने को मिलती है. उम्र, वजन अधिक होना, चोट या जोड़ों पर अत्यधिक दबाव, और अनुवांशिकता इसके प्रमुख कारणों में से हैं.
रूमेटॉयड आर्थराइटिस क्या है?
रूमेटॉयड आर्थराइटिस भी एक आम लेकिन गंभीर प्रकार की आर्थराइटिस है. ये एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जहां शरीर की इम्यून सिस्टम अपने ही टिशू और अंगों पर हमला करने लगती है. ये छोटे जोड़ों जैसे हाथ और पैरों में जकड़न, सूजन और दर्द उत्पन्न करता है और यह अन्य अंगों जैसे आंखों और त्वचा को भी प्रभावित कर सकता है.
आर्थराइटिस का उपचार
आर्थराइटिस का सही उपचार समय पर निदान और विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह से किया जा सकता है. उपचार का उद्देश्य लक्षणों से राहत और जोड़ों के कार्य में सुधार लाना है. इसके लिए दवाएं, शारीरिक गतिविधि, वजन कम करना और विशेष मेडिकल उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है. आर्थराइटिस के प्रति जागरूकता और शुरुआती डायग्नोसिस से इस बीमारी के लंबे समय तक के नुकसानों से बचा जा सकता है और जीवन की क्वालिटी को बेहतर किया जा सकता है.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)