स्तनपान एक ऐसी प्रक्रिया जो न सिर्फ बच्चे के लिए वरदान है, बल्कि मां की सेहत के लिए भी अमृत समान है. यह एक ऐसा अनूठा बंधन है जो मां और बच्चे को एक दूसरे से जोड़ता है. क्या आप जानते हैं कि स्तनपान के पीछे विज्ञान कितना गहराई से काम करता है? 


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दिल्ली में स्थित सीके बिड़ला अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग की लीड कंसल्टेंट डॉ. तृप्ति रहेजा बताता हैं कि स्तनपान सिर्फ दूध पिलाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसमें कई जटिल जैविक प्रक्रियाएं शामिल होती हैं जो बच्चे के विकास और मां की सेहत को प्रभावित करती हैं. डॉ. तृप्ति ने स्तनपान के विज्ञान के बारे में विस्तार से बताया


शिशु के लिए स्तनपान के फायदे
स्तन का दूध शिशु के विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें प्रोटीन, फैट, विटामिन, मिनरल्स और कार्बोहाइड्रेट का सही बैलेंस होता है.
स्तन का दूध फार्मूला दूध की तुलना में पचाने में आसान होता है.
स्तन का दूध शिशु को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण और नेक्रोटाइजिंग एंटरोकोलाइटिस जैसी बीमारियों से बचाता है.
स्तन के दूध में एंटीबॉडी होते हैं, जो शिशु की इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं और बैक्टीरिया व वायरस से लड़ने में मदद करते हैं.
स्तनपान करने वाले शिशुओं का आईक्यू लेवल उन शिशुओं की तुलना में अधिक होता है जिन्हें फार्मूला दूध पिलाया जाता है.


मां के लिए स्तनपान के फायदे
स्तनपान मां और बच्चे के बीच एक मजबूत बंधन बनाने में मदद करता है. यह बच्चे को भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करता है और मां में पोस्टपार्टम डिप्रेशन को रोकता है.
स्तनपान के दौरान ऑक्सीटोसिन हार्मोन का उत्पादन होता है, जो गर्भाशय के संकुचन में मदद करता है और इसे सामान्य आकार में वापस लाने में मदद करता है.
स्तनपान करने से एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न होती है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है.
स्तनपान करने वाली महिलाओं में डिम्बग्रंथि और स्तन कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट अटैक और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है.
स्तनपान फार्मूला दूध की तुलना में अधिक किफायती है.


इसीलिए स्तनपान मां और बच्चे दोनों के लिए कई फायदे लेकर आता है. यह न केवल शिशु की सेहत के लिए बल्कि मां की सेहत के लिए भी महत्वपूर्ण है. इसलिए जितना हो सके स्तनपान कराएं.