तितलियों की रंग और चाल में छिपा गहरा राज, एक-दूसरे की नकल कर शिकारियों को देती हैं चकमा
एक हालिया शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि कुछ खास रंगों वाली तितलियां उड़ने के तरीके में भी एक-दूसरे की नकल करती हैं, ताकि शिकारियों को धोखा दे सकें.
शिकारियों से बचने के लिए तितलियां अपने चमकीले और खास रंगों का इस्तेमाल करती हैं, यह तो हम सभी जानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तितलियां उड़ने के तरीके की नकल भी करती हैं? हाल ही में हुए एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि कुछ खास रंगों वाली तितलियां उड़ने के तरीके में भी एक-दूसरे की नकल करती हैं, ताकि शिकारियों को धोखा दे सकें.
दक्षिण अमेरिका में किए गए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 38 प्रजातियों की 351 तितलियों का अध्ययन किया. इन प्रजातियों में से कुछ आपस में दूर की रिश्तेदारी रखती थीं, लेकिन उनके रंगों का पैटर्न एक जैसा था. शोधकर्ताओं ने पाया कि तितलियों के उड़ने का तरीका उनके रहने के स्थान या पंखों के आकार से ज्यादा उनके रंगों के पैटर्न से लिंक था.
रंगों का पैटर्न
दूसरे शब्दों में कहें तो दूर की रिश्तेदार तितलियां अगर एक जैसे रंगों का पैटर्न अपनाती हैं, तो वे उड़ने का तरीका भी एक जैसा अपना लेती हैं. इससे शिकारियों को यह भ्रम होता है कि वे एक ही तरह की तितली का सामना कर रहे हैं, जो उनके लिए जहरीली या खाने योग्य नहीं होती. यह अध्ययन "हेलिकोनियिनी" (Heliconiini) नामक तितली समूह पर केंद्रित था, जिसमें लगभग 100 प्रजातियां शामिल हैं. इसके अलावा शोधकर्ताओं ने "इथोमीनाई" (Ithomiinae) तितलियों का भी अध्ययन किया, जिनमें बाघ जैसी धारियों वाला रंग होता है.
क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता
अध्ययन के मुख्य लेखक एड पेज का कहना है कि विकास के नजरिए से देखा जाए तो एक ही रंग पैटर्न साझा करना समझ में आता है, क्योंकि इससे शिकारियों को यह सीखने में कम समय लगता है कि ये तितलियां खाने योग्य नहीं हैं. लेकिन उड़ान का तरीका अधिक जटिल होता है और यह कई अन्य फैक्टर्स से भी प्रभावित होता है, जैसे हवा का तापमान और आवास. हम यह जानना चाहते थे कि क्या उड़ान का तरीका भी रंग की नकल की तरह ही काम करता है?
इस शोध से हमें इस बात को समझने में मदद मिलती है कि कैसे विभिन्न प्रजातियां शिकारियों से बचने के लिए खुद को ढालती हैं. 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' नामक जर्नल में प्रकाशित यह शोध इस बात को रेखांकित करता है कि जेनेटिक, व्यवहार और शिकारी-शिकार के बीच के रिश्ते किस तरह से मिलकर प्रजातियों के विकास को प्रभावित करते हैं.