बाउल कैंसर को कोलन कैंसर के रूप में भी जाना जाता है जो लिंच सिंड्रोम के कारण होता है. न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन बर्न के शोध के अनुसार, लिंच सिंड्रोम एक विरासत में मिली स्थिति है जो कोलोरेक्टल कैंसर जैसे कोलन कैंसर या एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है.


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दो दशकों की अवधि में हुए शोध के अनुसार, दुनिया भर के हजारों मरीजों ने अध्ययन में भाग लिया है, जिसके लिए उन्हें हर दिन दो एस्पिरिन, एक फूड सप्लीमेंट या एक प्लेसिबो की आवश्यकता होती है. इन मरीजों में लिंच सिंड्रोम था जिससे कोलन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है. अध्ययन के बाद निष्कर्षों से पता चला कि जिन लोगों को एस्पिरिन दी गई थी उनमें से केलव 4.4 प्रतिशत ही कैंसर से डायग्नोस हुए थे. यह आंकड़ा दूसरे समुह के मुताबिक बेहद कम था.


रिसर्च तीन लोगों की एक टीम के साथ शुरू किया गया था जिसमें प्रोफेसर सर जॉन बर्न, प्रोफेसर जॉन मैथर्स और टिम बिशप शामिल थे. ये सभी पॉलीप्स को विकसित होने से रोकने के लिए जीन वाहकों के इलाज के विभिन्न तरीकों के बारे में सोच रहे थे. यह इस शोध के माध्यम से उन्होंने एस्पिरिन की पहचान की जो लिंच सिंड्रोम के उपचार के लिए उपयुक्त था.


बाउल कैंसर के लक्षण


  • मल में खून आना

  • अचानक वजन कम होना

  • अत्यधिक थकान

  • गुदा या मलाशय में दर्द या गांव

  • पेट में दर्द, ब्लोटिंग या क्रैम्प

  • एनीमिया या स्किन का पीला पड़ना

  • पेशाब का रंग बदलना


एस्पिरिन के साइड इफैक्ट
एस्पिरिन हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है जबकि अन्य अध्ययनों से पता चलता है कि इस दर्द निवारक दवा में में कैंसर के खतरे को कम करने की क्षमता है. इसका दूसरा हिस्सा यह है कि एस्पिरिन का लंबे समय तक उपयोग करने से पेट में अल्सर हो सकता है. टीम वर्तमान में यह देखने के लिए काम कर रही है कि कैंसर को रोकने के लिए सामान्य जनसंख्या में एस्पिरिन का उपयोग किया जाना चाहिए या नहीं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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