Cancer News in Hindi: करीब एक साल तक गले के कैंसर से जूझने के बाद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने सोमवार को दम तोड़ दिया. इसके साथ ही कैंसर को लेकर देशभर में एकबार फिर चर्चा तेज हो गई है. इलाज के तमाम उपायों के बावजूद यह ऐसी बीमारी है, जिसका नाम ही किसी की रीढ़ में सिहरन पैदा करने के लिए काफी है. लोगों का कहना है कि जब बड़े-बड़े लोग भी इसकी चपेट में आने से बच नहीं पा रहे हैं तो वे क्या चीज हैं. लेकिन क्या वाकई ऐसा है. झारखंड के रांची मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर अनुज कुमार सोशल मीडिया पर हेल्थ अवेयरनेस से जुड़ी पोस्ट शेयर करने के लिए प्रसिद्ध हैं. सुशील मोदी के देहांत के बाद उन्होंने कैंसर की बीमारी पर जागरूकता फैलाने के लिए लंबी-चौड़ी पोस्ट लिखी है. आइए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.  


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शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है कैंसर


कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर की कोशिकाएं (cells) अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं. ये कोशिकाएं मुंह, हड्डी, आंत. छाती या खून समेत कहीं की भी हो सकती है. इसमें सबसे ख़तरनाक बात ये है कि ये शरीर के एक अंग से फैल कर दूसरे अंग को भी प्रभावित कर सकती हैं. टेक्निकल शब्दों में इसे हम metastasis कहते हैं.


कैंसर किस उम्र में हो सकता है, वो कैंसर के type पर निर्भर करता है. कुछ कैंसर बच्चों में, कुछ बुजुर्गों में, कुछ पुरुषों में तो कुछ महिलाओं में ज़्यादा हो सकता है. इसलिए किसी भी उम्र के व्यक्ति इससे प्रभावित हो सकते हैं.



कैंसर होने की वजहें


हर तरह के कैंसर का कारण अलग अलग है. इसलिए कोई एक कारण बता पाना संभव नहीं. कुछ कैंसर तंबाकू की वजह से तो कुछ वायरस की वजह से हो सकते हैं. कई बार अगर एक ही जगह पर बार बार चोट या घाव बनता रहे तो वो भी कैंसर में तब्दील हो सकता है. वहीं कई कैंसर ऐसे भी हैं, जिनके सटीक कारण अब तक पता नहीं चल सके हैं.


कैंसर का इलाज क्या है?


कैंसर के इलाज के 3 मुख्य तरीके हैं. ये इस प्रकार हैं-


- कीमोथेरेपी, यह दवाई होती है. इसके जरिए अनियंत्रित सेल्स को बढ़ने से रोका जाता है. 


- रेडियोथेरेपी,  इसमें कैंसर के cells को रेडिएशन की मदद से हटाया जाता है. 


- सर्जरी, इसमें कैंसर से प्रभावित हिस्से को कांट कर हटा दिया जाता है.


बीमारी के अनुसार होता है ट्रीटमेंट


किस मरीज पर इलाज का कौन सा तरीका अपनाया जाएगा, यह कैंसर के प्रकार और उसके स्टेज पर निर्भर करता है. बदलते वक्त के साथ अब 
अब कई उच्च तकनीकें भी आ गई हैं, जिसकी मदद से एडवांस स्टेज में भी कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है.


कैंसर से बचाव कैसे करें


- किसी भी तरह के नशे से दूर रहें. 


- अपना खानपान स्वस्थ रखें. 


- फास्टफूड और जंक फूड से बचें


- नियमित शारीरिक व्यायाम पर ध्यान दें. 


कैंसर को लेकर अंतिम सत्य ये है कि ये किसी को भी हो सकता है. बस इतना है कि अगर आपकी जीवन शैली स्वस्थ्य है तो आपको होने का ख़तरा थोड़ा कम हो जाता है. 


तीन चीज़ों का विशेष ध्यान रखें


- कोई भी सामान्य लक्षण अगर काफ़ी दिनों से है तो उसे गंभीरता से लें. अगर आपका वजन लगातार कम हो रहा, मुँह में कोई घाव या सफ़ेद या लाल दाग कई दिनों से है, लंबे समय से पेट में दर्द रह रहा या stool में खून आ रहा तो ये सब चीज़ों को नज़रअंदाज़ ना करें.


दूसरा, अगर सक्षम हैं तो कम से कम साल में एक बार डॉक्टर से मिल कर चेकअप करा लिया करें. कई कैंसर ऐसे भी हैं जिसमें शुरुआती दौर में कुछ लक्षण नज़र नहीं आता. रूटीन टेस्ट में कई बार ऐसे कैंसर पकड़ में आ जाते हैं. अगर सक्षम नहीं हैं तो कम से कम लक्षण को नज़रअंदाज़ तो बिलकुल ना करें और नजदीकी सरकारी अस्पताल में संपर्क करें.


तीसरा, अगर एक बार कैंसर पकड़ में आ गया तो कैंसर रोग विशेषज्ञ से मिल कर इलाज कराएं. किसी भी जड़ी बूटी से कैंसर का इलाज संभव नहीं है. उससे बस बीमारी बढ़ेगी.


कैंसर को लेकर सचेत रहें लेकिन ज़्यादा डरने की ज़रूरत नहीं है. ज़रूरत बस इसे लेकर जागरूक रहने की है.