पता नहीं क्या जादू किया! Ravindra Jadeja के पिता ने रिवाबा को बताया मतलबी, 4 चीजें जिससे बहू लगने लगती है विलेन
Rivaba Jadeja Relation With In-Laws: भारतीय क्रिकेटर रविंद्र जडेजा के पिता ने अपनी बहू रिवाबा जडेजा पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इसे सुनने के बाद कोई भी रिवाबा को विलेन से कम नहीं समझेगा. ऐसे में यदि आप अपने ससुराल वालों की नजरों में इस तरह से नहीं गिरना चाहती हैं, तो यहां बताई गई चीजों को गलती से भी ना करें.
भारतीय क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी और भाजपा विधायक (गुजरात) रिवाबा जडेजा हमेशा कैमरे पर एक आदर्श पत्नी के रूप में दिखाई देती हैं. सिर पर हमेशा आंचल, मैच जीतने पर क्रिकेट ग्राउंड में पति के पैर छूना, लिप लॉक के इस जमाने रिवाबा का ऐसा करना सेलिब्रिटी में उन्हें सबसे अलग बनाता है. ये सब करने वाली लड़कियां पेरेंट्स के लिए परफेक्ट बहू होती है.
लेकिन हाल ही में दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में रविंद्र जडेजा के पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने बहू को लेकर कुछ ऐसे खुलासे किए हैं, जिसे सुनकर रिवाबा जडेजा विलेन से कम नजर नहीं आती है. रविंद्र जडेजा के पिता ने बताया कि शादी के तीन महीने बाद ही रिवाबा ने सब कुछ उनके नाम पर करने की बात शुरु कर दी थी. इसके लिए उन्होंने ससुराल में सबको बहुत परेशान भी किया. वह परिवार से दूर अकेले रविंद्र के साथ रहना चाहती थी. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि मेरे रविंद्र और उनकी पत्नी से कोई संबंध नहीं रह गया है. मेरा तो बेटा है, दिल जलकर राख हो जाता है. बता नहीं रिवाबा ने क्या जादू कर दिया, बेटे की शादी ना की होती तो अच्छा होता.
पति के पैसे पर हक जमाना
इसमें कोई दोराय नहीं कि पति के हर एक चीज पर पत्नी का हक होता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि शादी होते ही आप अपना हक मांगने लगें. यह समझना जरूरी है कि बचपन से जिस परिवार में व्यक्ति पला-बढ़ा होता है उसके प्रति भी उसकी कुछ जिम्मेदार होती है. ऐसे में जब शादी के बाद बेटा इन जिम्मेदारियों से मुंह फेर लेता है तो इसके लिए बहू को ही खराब बताया जाता है.
छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करना
मतभेद हर परिवार में होते हैं. लेकिन बेवजह की बातों को मुद्दा बनाकर लड़ाई करना अच्छी बात नहीं होती है. खासतौर पर अगर ऐसा कोई लड़की अपने ससुराल में करती है तो उसे झगडालू , तेज जैसे शब्दों से परिभाषित किया जाने लगता है.
बटवारे की मांग करना
बटवारा हर पर परिवार का सच है. लेकिन इसके लिए ससुराल में जाते ही डिमांड करने लगना एक आदर्श बहू का गुण नहीं होता है. ऐसी बहुओं को समाज को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है. साथ ही ससुराल वाले भी उसके साथ रिश्ता रखना पसंद नहीं करते हैं.
पति का पैसा मायके में देना
जरूरत पर पति के पैसे से मायके वालों की मदद करना गलत नहीं है. लेकिन आप पति का पैसे से मायका का खर्चा उठाने लगे तो यह गलत है. खासतौर पर तब जब इसकी खबर पति या ससुराल वालों को ना हो. इससे आपकी तो बदनामी होगी ही साथ ही आपके मायके वालो की भी कोई इज्जत नहीं रह जाती है.