Dahi Vada: क्या आपको पता है दही वड़ा का इतिहास? मुगलों के जमाने से है कनेक्शन
Dahi Vada History: दही वड़ा का इतिहास सालों पुराना है और यह बहुत ही पारंपरिक भारतीय डिश है. कई कहानियों ने बताया गया है कि पहली बार दही बड़े 18वीं सदी में मुगलों के किचन में बनाया गया था.
Famous Chaat Food History: दही वड़ा एक ऐसा स्ट्रीट फूड है जो लगभग सभी लोगों को पसंद आता है और लोग खूब चाव से इसे खाते हैं. गाढ़ी दही में डूबे वड़े जब मुंह में जाते हैं तो एकदम आसानी से घुल जाते हैं और इसका चटपटापन बेहद ही आनंद देता है, लेकिन क्या आप दही बड़े का इतिहास जानते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि पहली बार दही-वड़े कब बनाए गए थे और कैसे यह इतना ज्यादा पॉपुलर हो गया.
दही वड़े का इतिहास
दही वड़ा (Dahi Vada) एक भारतीय डिश है और इसका इतिहास सालों पुराना है. इसका उल्लेख 12वीं सदी के संस्कृत ग्रन्थ मानसोल्लास में 'क्षीरवटा' के नाम से है. इसके साथ ही इसके सबूत 500 ईसा पूर्व में भी मिलते हैं. हालांकि, कई जगहों पर इस बात का भी जिक्र है कि इसका आविष्कार 18वीं सदी में मुगल खानसामों ने किया था.
ऐसे हुआ दही वड़ा का आविष्कार
कई रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि है मुगलों के जमाने का खाना काफी भारी होता था और उसे पचाना आसान नहीं होता था. इसलिए, मुगल खानसामों ने पाचन में सुधार के लिए दही में कई तरह के मसालों और जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर दही वड़े का निर्माण किया. इसके बाद से ही यह चटपटा व्यंजन भारतीयों के बीच काफी पॉपुलर है.
कई नामों से है फेमस
दही वड़ा (Dahi Vada) का इतिहास जितना पुराना है, उसी तरह यह पूरे देश में पॉपुलर भी है. हालांकि, अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. मराठी में इसे दही वड़ा कहा जाता है तो पंजाब में यह दही भल्ला हो जाता है. वहीं, तमिल में थयरी वडै के नाम से जाना जाता है, जबकि उड़ीसा और बंगाल में दोई बोरा कहा जाता है.
हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे