नई दिल्ली: इसमें कोई शक नही है कि भारतीय आयुर्वेद परंपरा से निकले काढ़े ने कोरोना काल में इम्यूनिटी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है. काढ़ा पीने का चलन बढ़ा तो मार्केट में कई कंपनियों ने अपना प्रोडक्ट लॉन्च कर दिया. बाजार वाले काढ़े (Katha) के पैकेट के अंदर एक स्लिप में उसे बनाने का तरीका लिखा होता है. इसके बावजूद लोग घर पर मौजूद सामान से काढ़ा बनाने में या बाजार से खरीदे हुए काढ़े को बनाने में गलती कर देते हैं. जिसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. इसी वजह से कई बार शरीर को जो फायदा मिलना चाहिए वो भी नहीं मिल पाता है.


इस वजह से होती है गलती


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डॉक्टर्स का कहना है कि काढ़ा बनाते वक्त लोगों से ऐसी गलतियां करते हैं जिससे शरीर पर उसका उल्टा असर होने लगता है. कहने वाले कहते हैं कि नाक बंद करके पी जाओ आयुर्वेदिक चीज है नुकसान नहीं होगा. लेकिन ये बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि अगर काढ़े में गुणकारी तत्वों की सही मात्रा का ख्याल ना रखा जाए तो उसके नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं.


इम्यूनिटी बूस्टर है काढ़ा


हमारा इम्यूनिटी सिस्टम शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है. इसलिए कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ते ही डॉक्टर्स भी काढ़ा पीने की सलाह देते हैं क्योंकि इसका सेवन करने से शरीर में मौजूद रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ती है. यानी साफ है कि काढ़ा इम्यूनिटी को इम्प्रूव करता है. डॉक्टर्स का कहना है कि काढ़ा बनाते वक्त जानें-अनजाने अक्सर लोग ऐसी गलतियां करते हैं जिससे शरीर पर उसका उल्टा ही असर हो सकता है.


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हो सकती है ये दिक्कत


एक्सपर्ट का कहना है कि काढ़ा पीने वालों की उम्र, मौसम और हेल्थ को मॉनिटर करना बहुत जरूरी है. रेगुलर काढ़ा पीने वाले कमजोर स्वास्थ के लोगों को कई बड़ी दिक्कत हो सकती हैं. नाक से खून, मुंह छाले, एसिडिटी, पेशाब आने में समस्या और डाइजेशन की समस्या आपको घेर सकती है. ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.


काढ़ा बनाने में अक्सर लोग काली मिर्च, दालचीनी, हल्दी, गिलोय, अश्वगंधा, इलायची और सोंठ भी डाल देते हैं. ये सभी चीजें आपके शरीर को काफी गर्म कर देती हैं. शरीर का तापमान अचानक बढ़ने से नाक से खून या एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.


जरूर ध्यान दें


काढ़ा बनाने में जिन चीजों को डाला गया है उनका सही मात्रा में संतुलन होना जरूरी है. अगर काढ़ा पीने से आपको कोई परेशानी हो रही है तो उसमें दालचीनी, काली मिर्च, अश्वगंधा और सोंठ की मात्रा कम ही रखें. अगर आपको काढ़ा पीने की आदत नही हैं तो कभी कभार पीने वालों को एक कप से ज्यादा काढ़ा नहीं पीना चाहिए. वहीं जिन लोगों को पित्त की शिकायत है उन्हें काली मिर्च और दालचीनी का इस्तेमाल करने में खास सावधानी बरतनी चाहिए. कुछ लोग अदरक के साथ सोंठ भी डाल देते हैं इसे लेकर भी लोगों की अलग अलग राय है. 


काढ़ा बनाते वक्त बर्तन में सिर्फ 100 मिलीलीटर पानी डालें. फिर जरूरी चीजों को मिलाने के बाद उसे तब तक उबालें जब तक काढ़ा 50 मिलीलीटर यानी आधा ना हो जाए. इसके बाद उसे छानकर पी लें.


नोट: (यहां बताया गया तरीका डाइटीशियन और आयुर्वेद की मान्यताओं पर आधारित है. मात्रा में असंतुलन होने पर अलग अलग लोगों के शरीर में भिन्न भिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं. ऐसे में किसी एक्सपर्ट की देख रेख में काढ़ा बनाने की विधि सीखने के बाद ही घर पर इस्तेमाल करना चाहिए.)