गर्मी का कहर: बढ़ते तापमान के साथ बढ़ा हीट स्ट्रोक का खतरा, एक्सपर्ट से जानें बचाव के तरीके
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गर्मी का कहर: बढ़ते तापमान के साथ बढ़ा हीट स्ट्रोक का खतरा, एक्सपर्ट से जानें बचाव के तरीके

जैसे-जैसे तापमान असहनीय रूप से बढ़ रहा है, गर्मी से होने वाली बीमारियों के खतरे भी बढ़ रहे हैं. इसका जवाब इसमें है कि इन रोगों से बचने के भरपूर उपाय किए जाएं और आप खुद को बढ़ते हुए तापमान से सुरक्षित रखें.

गर्मी का कहर: बढ़ते तापमान के साथ बढ़ा हीट स्ट्रोक का खतरा, एक्सपर्ट से जानें बचाव के तरीके

जैसे-जैसे तापमान असहनीय रूप से बढ़ रहा है, गर्मी से होने वाली बीमारियों के खतरे भी बढ़ रहे हैं. इसका जवाब इसमें है कि इन रोगों से बचने के भरपूर उपाय किए जाएं और आप खुद को बढ़ते हुए तापमान से सुरक्षित रखें. हीट स्ट्रोक काफी खतरनाक बीमारी है जो अधिक गर्मी वाली कंडीशन और अत्यधिक विषम स्थितियों में होती है, इसकी वजह से मृत्यु तक हो सकती है.

हीट स्ट्रोक उस स्थिति में होता है जब शरीर का तापमान 105°F तक बढ़ जाता है और हमारा शरीर तापमान को रैग्युलेट करने की अपनी क्षमता खो देता है. ध्यान दें कि हमारे शरीर का नॉर्मल तापमान 98.4°F (37°C) होता है. बेहद गर्मी में एक्सपोजर होने पर हीट स्ट्रोक हो सकता है और ऐसे में शरीर का तापमान बढ़ता है लेकिन उस तरह से नहीं जैसा कि बुखार होने पर होता है.

गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर डायरेक्टर एवं यूनिट हैड डॉ. सतीश कौल बताते हैं कि हीट स्ट्रोक अक्सर तब होता है जब गर्मी के अन्य रोग जैसे कि क्रैम्प्स और हीट एग्जॉक्शन बेहद खतरनाक लेवल पर पहुंच जाते हैं. लेकिन कई बार यह बिना किसी बीमारी या लक्षण के भी हो सकता है. हीट स्ट्रोक के अत्यंत दुर्लभ मामलों में यह घातक भी हो सकता है या इसकी वजह से दिमाग को भी नुकसान पहुंच सकता है. अक्सर ज्यादा देर तक गर्मी/हीट में रहने से हीट स्ट्रोक हो सकता है. ऐसे में शरीर में पानी की कमी हो जाती है और हीट कंट्रोल करने की शरीर की क्षमता खत्म हो जाती है, जो कि सेंट्रल नर्वस सिस्टम में होने वाली दिक्कतों की वजह से होता है. इसलिए, लोगों को गर्मियों के महीनों में एक्स्ट्रा सावधानी बरतने और अपने आपको सुरक्षित तथा हाइड्रेटेड रखने की सलाह दी जाती है.

किन्हें बरतनी चाहिए ज्यादा सावधानी?
डॉक्टरों का कहना है कि दिल के मरीजों और हाइपरटेंशन या डायबिटीज के मरीजों को गर्मी के रोगों से बचने के लिए अधिक सावधानी बरतनी चाहिए. किडनी रोगों से ग्रस्त लोगों को भी खतरा होता है. डॉक्टरों की सलाह है कि जैसे ही किसी को शरीर का तापमान बढ़ने, मितली आने, दौरे, तेज सिरदर्द या बेहोशी की शिकायत महसूस हो तो उस व्यक्ति के शरीर का तापमान कम करने के लिए तत्काल कोशिश करनी चाहिए. साथ ही, हीट क्रैम्प्स और हीट एग्ज़ॉस्शन को भी नजरंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि ये कंडीशन ही हीट स्ट्रोक में बदल सकती हैं.

हीट स्ट्रोक होने पर क्या करें?
यदि किसी को हीट स्ट्रोक हो तो तुरंत मरीज को आइस बाथ या ठंडे पानी में नहलाएं या कमरे में तेज कूलिंग कर लेटाएं. लेकिन जहां तक हो सके, बचाव पर जोर दें क्योंकि इलाज से बेहतर रोकथाम ही है. वहीं, जब भी बाहर जाएं अपने साथ पानी जरूर लेकर जाएं और दिनभर में तरल पदार्थों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करते रहें. ढीले कपड़ों को पहनने से शरीर जल्दी ठंडा होता है. इसलिए, गर्मी के मौसम में ढीले-ढाले कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है.

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