क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप उदास, ऊबे हुए या चिंतित होते हैं, तो आपकी खान-पान की आदतें कैसे बदलती हैं? कई लोग ऐसी भावनाओं से निपटने के लिए या तो अधिक खाते हैं या कम. यह एक नॉर्मल रिएक्शन है, लेकिन यह आपके मेंटल हेल्थ को इफेक्ट करता है. इस विषय पर हाल में किए गए शोध से पता चला है कि लगभग 20 प्रतिशत लोग नियमित रूप से इमोशनल ईटिंग करते हैं.


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अध्ययन में यह पाया गया कि किशोरों में इमोशनल ईटिंग का प्रचलन अधिक है. 34 प्रतिशत किशोर उदास होने पर और 40 प्रतिशत चिंतित होने पर मूड के अनुसार खाना खाते हैं. स्ट्रेस, इंटेंस इमोशन और डिप्रेशन इन आदतों को बढ़ावा देते हैं. यदि आप ध्यान दें तो पाएंगे कि जब आप तनाव में होते हैं, तो फैट, चीनी और नमक वाले फूड्स की क्रेविंग ज्यादा होती है.  


इमोशनल ईटिंग का कारण

तनाव और तीव्र भावना हार्मोनों जैसे कॉर्टिसोल, इंसुलिन और ग्लूकोज को प्रभावित करता है. ये हार्मोन भूख को बढ़ा सकते हैं, जिससे इमोशनल ईटिंग की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा छोटी-छोटी बातों की टेंशन लेने की आदत भी इमोशनल ईटिंग को बढ़ावा देती है.  


इमोशनल ईटिंग के नुकसान

जो लोग इमोशन के मुताबिक खाना खाते हैं, उनमें मोटापा बहुत कॉमन होता है. इससे टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और कैंसर का खतरा भी अधिक होता है. क्योंकि आमतौर पर इमोशनल ईटिंग अनहेल्दी फूड्स से संबंधित होता है. 


बचने के उपाय

अगर आपको लगता है कि आपकी खान-पान की आदतें आपकी भावनाओं से प्रभावित हो रही हैं, तो कुछ उपाय किए जा सकते हैं. इसके लिए पर्याप्त नींद लें, एक अच्छी नींद आपके मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकती है. सही समय पर और संतुलित भोजन करना जरूरी है. इसके साथ ही अपनी भावनाओं को पहचानें और उनके प्रति सजग रहें.

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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.