वायु प्रदूषण से आई इंफेक्शन का खतरा दोगुना, पीएम10 के संपर्क में आए तो जा सकती हैं आंख; स्टडी
दिल्ली, मुंबई, और अन्य बड़े शहरों में जहां पीएम 10 और अन्य प्रदूषक कणों का स्तर उच्चतम सीमा तक पहुंचता है. ऐसे में यहां रहने वाले लोगों में आई इंफेक्शन का खतरा सबसे ज्यादा होता है.
वायु प्रदूषण, खासकर पीएम 10 (पार्टिकुलेट मैटर) के संपर्क में आने से आंखों में संक्रमण का खतरा दोगुना हो सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो एंशुट्ज मेडिकल कैंपस के शोधकर्ताओं के मुताबिक, जो लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहां पीएम 10 का स्तर अधिक होता है, उन्हें आंखों में जलन, एलर्जी और अन्य आंखों के संक्रमणों से पीड़ित होने की संभावना कहीं ज्यादा रहती है.
यह अध्ययन जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर किए गए पहले शोधों में से एक है. शोधकर्ताओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते प्रदूषण से आंखों की समस्याओं में भी वृद्धि हो रही है, जो विश्व स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन सकता है.
वायु प्रदूषण का आंखों पर प्रभाव
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के अध्ययन में यह पाया गया कि डेनवर महानगर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग आंखों की समस्याओं के लिए चिकित्सक से मिलने के लिए दोगुना अधिक जाते हैं. अध्ययन में 1,44,313 मरीजों के आंकड़े जुटाए गए, जिन्होंने आंखों में जलन और एलर्जी के कारण क्लिनिक विजिट की थी. शोध में यह दिखाया गया कि जब पीएम 10 का स्तर 110 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, तब आंखों की समस्याओं के लिए क्लिनिक विजिट की संख्या औसत से 2.2 गुना अधिक हो गई. इसके अलावा, जैसे-जैसे पीएम 10 का स्तर बढ़ा, वैसे-वैसे क्लिनिक विजिट की दर भी बढ़ती गई.
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ओकुलर सरफेस डिजीज और वायु प्रदूषण
पीएम 10 कणों से होने वाली समस्याओं में प्रमुख रूप से ओकुलर सरफेस डिजीज (ओएसडी) शामिल है, जो आंखों की सतह को प्रभावित करने वाली बीमारियों का समूह है. इसमें कॉर्निया, कंजंक्टिवा और पलकों जैसी आंखों की संरचनाओं में संक्रमण, जलन और सूजन हो सकती है. वायु प्रदूषण में मौजूद छोटे कण आंखों की सतह पर जमा होते हैं, जिससे सूजन और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. शोधकर्ताओं ने पाया कि बढ़ते पीएम 10 स्तरों से आंखों के संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, खासकर उन लोगों में जो पहले से ही किसी आंखों की समस्या से जूझ रहे हैं.
जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो स्कूल ऑफ मेडिसिन की सहायक प्रोफेसर जेनिफर पटनायक ने कहा कि वायु प्रदूषण के असर पर बहुत अधिक अध्ययन नहीं हुए हैं, लेकिन यह चिंता का विषय है कि जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण से आंखों की समस्याएं बढ़ सकती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जलवायु परिवर्तन को "मानवता के सामने सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा" घोषित किया है, और इस अध्ययन के परिणाम इसे और भी स्पष्ट करते हैं.
भारत में बढ़ते प्रदूषण का खतरा
भारत में भी वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चुकी है, खासकर दिल्ली, मुंबई, और अन्य बड़े शहरों में जहां पीएम 10 और अन्य प्रदूषक कणों का स्तर उच्चतम सीमा तक पहुंचता है. ऐसे में इस शोध के परिणाम भारत में भी लागू हो सकते हैं, जहां वायु प्रदूषण के कारण आंखों की समस्याओं में वृद्धि देखी जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस शोध से मिली जानकारी भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां प्रदूषण का स्तर काफी अधिक है और आंखों से संबंधित बीमारियों के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है.
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