गुड़ एक पारंपरिक नेचुरल स्वीटनर है जिसका उपयोग कई भारतीय व्यंजनों में किया जाता है. प्राचीन काल से गुड़ का उपयोग सिर्फ रसोई में ही नहीं बल्कि आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता रहा है. गुड़ को रिफाइंड शुगर का एक हेल्दी विकल्प माना जाता है. लेकिन असली सवाल यह है कि क्या वाकई गुड़ चीनी का सही विकल्प है? हमें ऐसा क्या लगता है कि यह रिफाइंड चीनी की तुलना में अधिक नेचुरल है? आइए इस दावे की पड़ताल करते हैं, गुड़ की न्यूट्रिशनल वैल्यू को डिकोड करते हैं और इसकी तुलना चीनी से करते हैं.


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अहमदाबाद स्थित अपोलो अस्पताल के सलाहकार डॉ. शशिकांत निगम बताते हैं कि गुड़ गन्ने से बनने वाली डाइट सामग्री का एक रूप है. इसमें लगभग 65-70 प्रतिशत सुक्रोज होता है, वहीं सफेद चीनी में 99.5% सुक्रोज होता है. डॉ. निगम का कहना है कि सफेद चीनी की तुलना में गुड़ में सुक्रोज कम होता है, इसलिए इसके सेवन के बाद ग्लूकोज का लेवल धीरे-धीरे बढ़ता है. ब्लड शुगर लेवल पर गुड़ का असर शायद वैसा न हो जैसा कि रिफाइंड शुगर के साथ होता है, लेकिन यह ग्लाइसेमिक इंडेक्स नामक एक महत्वपूर्ण फैक्टर के कारण इसे डायबिटीज मरीजों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है.


नारियल गुड़ और टेबल शुगर की तुलना
एक हालिया अध्ययन में ब्लड शुगर पर नारियल गुड़ और टेबल शुगर के प्रभाव की तुलना की गई, जिसमें पाया गया कि दोनों में समान पैटर्न मिले. हालांकि गुड़ की प्रोटीन सामग्री गन्ने की चीनी की तुलना में काफी अधिक थी. अध्ययन ने डायबिटीज के मरीजों के लिए चीनी के बेहतर विकल्प के रूप में नारियल गुड़ की सिफारिश नहीं की.


फिर क्या है जो गुड़ को इतना लोकप्रिय बनाता है?
गुड़ कई भारतीय पारंपरिक व्यंजनों का एक हिस्सा है. गन्ने के अधिक उत्पादन और हाई पोषण सामग्री के कारण भी गुड़ को हमारे घरों में हमेशा पसंद किया जाता रहा है. डॉ निगम बताते हैं कि गुड़ कई विटामिन और खनिजों का एक अच्छा सोर्स है, विशेष रूप से आयरन और विटामिन सी का. विटामिन बी 12 से भरपूर गुड़ बाजार में भी आसानी से मिल जाता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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