HIV Latest Research: HIV पीड़ित मां का बच्चे को दूध पिलाना कितना सेफ? सामने आई नई रिसर्च, बदल जाएगा इलाज का तरीका
HIV Latest Research in Hindi: क्या HIV से पीड़ित कोई मां अपने बच्चे को दूध पिला सकती है. आपका जवाब होगा कि नहीं, क्योंकि अब तक यही मेडिकल प्रोटोकॉल था. लेकिन अब नई रिसर्च सामने आने के बाद इलाज का तरीका बदलने जा रहा है.
How to protect children from HIV: दुनियाभर में एचआईवी से पीड़ित लोगों के इलाज की नीति में जल्द ही अहम बदलाव हो सकता है. अमेरिका में हुए रिसर्च में पता चला है कि अगर एचआईवी से पीड़ित मां इस वायरस को कंट्रोल करने वाली असरदार दवाइयां ले रही हो तो वह अपने नवजात शिशु को स्तनपान कर सकता है. अब तक दुनियाभर में प्रचलित इलाज के प्रोटोकॉल में एचआईवी से पीड़ित महिलाओं को अपने नवजात को स्तनपान कराने की मनाही थी. यह नीति वर्ष 1980 में तब लागू हुई थी, जब दुनियाभर में एचआईवी महामारी की शुरुआत हुई थी.
नियमित दवाएं से घट जाता है एचआईवी का खतरा- लेटेस्ट रिसर्च
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने यह नई रिपोर्ट जारी की है. कोलोराडो यूनिवर्सिटी में बाल चिकित्सा और एचआईवी एक्सपर्ट लेखिका डॉ. लिसा अबुओगी ने अपने सहयोगियों के साथ लंबे रिसर्च के बाद यह रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर आप डॉक्टरों की ओर से निर्धारित की गई दवाएं नियमित रूप से खाते हैं तो इससे मां के दूध के जरिए बच्चों में एचआईवी वायरस पहुंचने का खतरा भी एक प्रतिशत तक कम हो जाता है.
डॉ. लिसा अबुओगी ने कहा कि एचआईवी के ट्रांसमिशन को रोकने के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी नाम की दवाएं दी जाती हैं. लगातार रिसर्च से इस दवा का असर पहले से ज्यादा बढ़ गया है और अब इससे एचआईवी का खतरा घटा है. फिर भी अभी इसे पूरी तरह सेफ नहीं माना जा सकता. उन्होंने बताया कि ताजा रिसर्च से यह भी पता चला है कि एचआईवी से पीड़ित हो चुकी माताओं को कम से कम शुरुआत के 6 महीने तक अपने बच्चों को स्तनपान जरूर करवाना चाहिए. ऐसा न करने से बच्चों की आंत प्रभावित हो सकती है, जिससे उनमें भी एचआईवी का संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
अमेरिका में शिशुओं में घटे एचआईवी संक्रमण के मामले
वे बताती हैं कि अमेरिका में हर साल एचआईवी से पीड़ित लगभग 5,000 लोग बच्चे को जन्म देते हैं. इस बीमारी पर काबू पाने के लिए सभी पीड़ित नियमित रूप से दवाएं लेते हैं, जिससे वायरस कंट्रोल में रहता है. हालांकि अगर वे दवाएं लेना छोड़ दें तो वह फिर से बढ़ सकता है. इन्हीं दवाओं का असर है कि वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत में, अमेरिकी शिशुओं में हर साल संक्रमण के लगभग 2,000 मामले सामने आते थे. वहीं आज यह घटकर 30 से भी कम हो चुका है.
'बच्चे को दूध न पिलाने से मैं डिप्रेशन में चली गई'
फिलाडेल्फिया की रहने वाली 36 वर्षीय सीआई सीआई कोविन ने कहा, मुझे 20 साल की उम्र में एचआईवी का पता चला था. इसके बाद उन्हें अपने पहले बच्चे, सिय्योन, जो अब 13 साल का है, को स्तनपान कराने की अनुमति नहीं दी गई थी. मुझे सलाह दी गई थी कि केन्या में रहने वाली मेरी बहन को बच्चे को स्तनपान कराने के लिए राजी किया जाए. इस वजह से मैं गहरे डिप्रेशन में चली गई थी. हालांकि इसके बाद जब वे बेटी के जन्म के लिए दोबारा गर्भवती हुईं तो मेडिकल टीम ने अपनी देखरेख में उसे शुरू के 7 महीने तक स्तनपान कराने में मदद दी. इसके साथ ही बच्चे को भी नियमित रूप से दवाइयां दी गई.
(एजेंसी इनपुट के साथ)