नई दिल्ली: कई बार जब हम बाजार में सब्जी खरीदने जाते हैं तो सब्जियों के रंग और इनकी चमक को देखकर खरीद लेते हैं. हमें लगता है कि सब्जी फ्रेश है, लेकिन कई बार ये सच नहीं होता. इन सब्जियों का गहरा हरा रंग नकली भी हो सकता है. कई बार दुकानदार सब्जियों को ताजा दिखाने के लिए उन पर हरा रंग चढ़ा देते हैं.


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खाने-पीने की चीजों में मेलेकाइट ग्रीन, कॉपर सल्फेट, रोडामाइन बी, कैल्शियम कार्बाइड जैसे केमिकल की मिलावट की जाती है. ऐसे में जरूरी है कि आप ये जानें कि सब्जियां रंगी हुई है या नहीं.


साग-सब्जियों में मिलावट


FSSAI ने इसे लेकर एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में खाने की चीजों में मिलावट है या नहीं, इसे जांचने का तरीका बताया गया है. साग सब्जियों में ज्यादातर मेलेकाइट ग्रीन की मिलावट पाई जाती है.


मेलेकाइट ग्रीन है क्या?


अब आप ये समझिए कि मेलेकाइट ग्रीन है क्या.  मेलेकाइट ग्रीन एक कार्बनिक यौगिक है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर रंगने के लिए और जलीय कृषि के अंदर एंटीमाइक्रोबियल के तौर पर किया जाता है. मेलेकाइट ग्रीन का इस्तेमाल हरी मिर्च, खीरा, साग, पालक, मटर, भिंडी जैसी सब्जियों में किया जाता है. इससे सब्जियों का रंग हरा दिखता है. 



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ऐसे करें पहचान


रूई लें और इसे लिक्विड पैराफिन में डुबा लें. इसे भिंडी के बाहरी हिस्से पर लगाकर रगड़ें.


रुई पर अगर हरा रंग नहीं आता तो सब्जी खाने लायक है.


वहीं अगर रूई में रंग आ जाए तो इसका मतलब है कि सब्जी को रंगकर हरा बनाया गया है.


मेलेकाइट ग्रीन का उपयोग किया गया है.


मेलेकाइट ग्रीन से नुकसान


ऐसी सब्जियां खाने से कार्सिनोजेनेसिस, म्यूटेनेसिस, क्रोमोसोमल, फ्रैक्चर और सांस से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.