प्रेगनेंसी के कौन-से हफ्ते में मिसकैरेज का खतरा सबसे ज्यादा होता है?
High Risk Of Miscarriage: प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में महिलाओं को अपनी सेहत पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है. इसका एक कारण मिसकैरेज का खतरा होता है.
Miscarriage Ka Khatra Kab Tak Rehta Hai: कंसीव करने से लेकर बच्चे की डिलीवरी तक एक महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. बच्चे के सही तरह से विकास के लिए इस दौरान अपनी सेहत का ध्यान रखना गर्भवती महिला के लिए सबसे बड़ा और मुश्किल मुद्दा होता है.
खासतौर पर प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में, जब जरा सी भी कोताही कोख में पल रहे बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. हालांकि ज्यादातर मिसकैरेज इसलिए होता है क्योंकि बच्चे का विकास रुक जाता है. बता दें मिसकैरिज का खतरा पूरी प्रेगनेंसी में नहीं होता है. कंसीव करने के बाद कितने दिनों तक गर्भपात हो सकता है, यहां हम आपको बता रहे हैं.
मिसकैरेज का खतरा कब तक होता है
गर्भपात के मामले आमतौर पर गर्भधारण के पहले 12 हफ्तों के भीतर होते हैं. हालांकि, शोध के अनुसार, गर्भपात की संभावना विशेष रूप से 6 से 8 सप्ताह के बीच अधिक होती है. यह समय अवधि भ्रूण के विकास के प्रारंभिक चरण से संबंधित है जब सबसे अधिक भ्रूण संबंधी समस्याएं और आनुवंशिक दोष सामने आ सकते हैं.
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मिसकैरेज होने का कारण
- पहले तिमाही में गर्भपात का प्रमुख कारण भ्रूण में आनुवांशिक समस्याएं होती हैं. यह आमतौर पर भ्रूण के विकास के शुरुआती चरणों में होता है, जब अधिकांश गंभीर आनुवंशिक दोषों का पता चलता है. इस समय, गर्भधारण के लिए भ्रूण का सही ढंग से विकसित होना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
- गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में हार्मोनल असंतुलन भी गर्भपात का एक कारण हो सकता है. हार्मोन प्रोलैक्टिन और प्रोजेस्टेरोन की कमी गर्भाशय की दीवार को ठीक से तैयार नहीं कर पाती, जिससे गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है.
- प्रेगनेंसी में महिला का ब्लड प्रेशर हाई होना, डायबिटीज या इन्फेक्शन, भी गर्भपात की संभावना को बढ़ा सकती हैं. इन समस्याओं का प्रभाव भ्रूण की वृद्धि और विकास पर पड़ता है, जिससे गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है.
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