भारतीय खान-पान की आदतें न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है. एक हालिया रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि भारतीयों की खान-पान की आदतें वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. 


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वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) द्वारा जारी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के खाद्य व्यवहार जी 20 देशों में सबसे अधिक जलवायु-अनुकूल हैं. ऐसे में इसे अपनाकर न क्लाइमेट चेंज के कारण होने वाली परेशानियों को आसानी से निपटा जा सकता है. 


भोजन की बर्बादी को सीमित करना

रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि भोजन की बर्बादी को कम करने और शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता देने से न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम करेगा. ग्लोबल डेटा की उपभोक्ता विश्लेषक श्रावणी माली ने बताया कि भारत में खासकर महानगरों में शाकाहारी भोजन को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है.


पौधों पर आधारित आहार

माली ने कहा, "भारत की वर्तमान खाद्य उपभोग पद्धतियां पौधों पर आधारित आहार और जलवायु अनुकूल फसलों, जैसे बाजरा पर जोर देती हैं. ये खाद्य विकल्प कम संसाधनों की आवश्यकता रखते हैं और मांस प्रधान आहार की तुलना में कम उत्सर्जन करते हैं." यह बदलाव स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने का एक परिणाम है.


टिकाऊ खाद्य विकल्पों की मांग

ग्लोबल डेटा द्वारा किए गए एक हालिया उपभोक्ता सर्वेक्षण में पाया गया कि 79 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि वे खाद्य और पेय पदार्थ खरीदते समय टिकाऊ या पर्यावरण के अनुकूल विशेषता को महत्वपूर्ण मानते हैं. माली के अनुसार, पारंपरिक भारतीय आहार में मुख्य रूप से दाल, अनाज और सब्जियां शामिल हैं, जो मौसमी और स्थानीय उपज पर जोर देते हैं.


सरकारी पहलों की सराहना

दीपक नौटियाल, ग्लोबल डेटा के एशिया-प्रशांत और मध्य पूर्व के उपभोक्ता एवं खुदरा वाणिज्यिक निदेशक, ने भारत सरकार की पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए की गई पहलों की सराहना क.। उन्होंने राष्ट्रीय बाजरा अभियान और अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (2023) अभियानों का जिक्र किया, जो बाजरा के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देते हैं. बाजरा एक पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ भोजन और पोषण का स्रोत है.


जलवायु अनुकूल खेती

इसके अलावा, राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन का उद्देश्य जलवायु अनुकूल खेती में सुधार करना भी है. माली ने बताया कि जलवायु के अनुकूल आहार, खासकर भारतीय खान-पान की आदतें, वैश्विक पर्यावरण और स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान में अहम साबित हो सकती हैं.