मानसून का मौसम आ चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मौसम में सूरज की किरणें भी उतनी ही तेज होती हैं? जी हां, आसमान में भले ही बादल छाए हों, फिर भी सूरज की पराबैंगनी (UV) किरणें हमारी त्वचा तक पहुंचती हैं, जो त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं. ऐसे में यदि आप बारिश के मौसम में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना छोड़ देते हैं. तो यहां इसकी जरूरत को जान सकते हैं-


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क्यों मानसून में भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूरी है:

भले ही मानसून के मौसम में बादल छाए होने की वजह से धूप कम निकलती है, लेकिन इसकी किरणें फिर भी त्वचा को खराब करने में सक्षम होती है.  जिससे त्वचा का रंग असामान और झुर्रियां नजर आने लगती हैं.


सूरज की किरणों के कारण होने वाला त्वचा का कैंसर किसी भी मौसम में हो सकता है. सनस्क्रीन लगाने से सूरज की हानिकारक किरणों से बचाव होता है, जिससे त्वचा के कैंसर का खतरा कम होता है.


हालांकि मानसून में आम तौर पर वातावरण में नमी ज्यादा होती है, लेकिन बारिश के बाद तेज हवाएं चलने से त्वचा रूखी हो सकती है. सनस्क्रीन में मौजूद कुछ तत्व त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करते हैं. 


सूरज की किरणों के कारण त्वचा पर काले धब्बे पड़ सकते हैं और टैनिंग भी हो सकती है. सनस्क्रीन लगाने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है.

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इन बातों का रखें ध्यान


मानसून में पसीना और बारिश की वजह से सनस्क्रीन जल्दी निकल सकता है. इसलिए हर दो घंटे में सनस्क्रीन को दोबारा लगाना जरूरी है. बाहर निकलने से 30 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं और SPF 30 या उससे ज़्यादा का सनस्क्रीन इस्तेमाल करें. चेहरे के साथ-साथ गर्दन, कानों और हाथों पर भी सनस्क्रीन लगाना न भूलें.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.