डिलीवरी के बाद मां को हमेशा यह हिदायत दी जाती है कि वह बच्चे को स्तनपान ही कराएं. नवजात शिशु के लिए मां का दूध ही अमृत के समान बताया गया है. यह भी माना जाता है कि जो बच्चा बचपन में लंबे समय तक मां का दूध पीता है उसे बड़े होकर बीमारियों का खतरा तुलनात्मक रूप से दूसरे बच्चों से कम होता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हालांकि वर्किंग वूमन्स के लिए बच्चे को लंबे समय तक ब्रेस्ट फीड करवा पाना मुश्किल होता है. इसलिए बच्चे को बोतल से दूध कहीं ना कहीं इनके लिए एक मजबूरी भी है. यदि आप भी एक वर्किंग मॉम है तो यहां जान लें कि कितने समय के बाद शिशु को बोतल से दूध पिलाना हेल्दी होता है?



इस उम्र में दे सकते हैं शिशु को बोतल से दूध

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिश के अनुसार नवजात शिशुओं को पहले छह महीनों के लिए विशेष रूप से स्तनपान कराया जाना चाहिए. लेकिन विशेष मामलों में, यदि स्तनपान के कम उत्पादन के कारण 6 महीने तक इंतजार करना संभव नहीं है तो आप उनके जन्म के दो या तीन सप्ताह बाद एक बोतल पेश कर सकते हैं.


बोतल फीडिंग से होने वाले नुकसान-


इम्यूनिटी कमजोर होती है

मां का दूध कम पीने वाले बच्चों की इम्यूनिटी बहुत कमजोरी होती है, जिसके कारण वह बार-बार बीमार पड़ते हैं. इतना ही नहीं यह दिक्कत उन्हें जीवन भर रहती है.


मोटापा

यदि शिशु को मां के दूध की जगह ऊपर का दूध दिया जाए तो उसके कारण वह मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं. जानवरों के दूध में फैट बहुत अधिक होता है.


लंग्स कमजोर होते हैं

रबड़ के निप्पल से दूध पिने वाले शिशुओं की लंग्स उन शिशुओं के मुकाबले कमजोर होते हैं जो स्तनपान करते हैं.


विकास धीमा होता है

बोतल से दूध पीने वाले शिशु माइक्रोप्लास्टिक एक्सपोज हो जाते हैं, जिससे उनका विकास धीमा पड़ जाता है. 

इसे भी पढ़ें- Pregnancy Tips: अगर प्रेगनेंसी के दौरान मां करें ये 5 चीजें तो गर्भ से ही समझदार और तेज बनकर आएगा बच्चा

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.