मेनोपॉज उम्र का वह समय है जब महिलाओं को पीरियड्स होना बंद हो जाता है और उनका शरीर हार्मोनल बदलावों से गुजरता है. आमतौर पर यह 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच होता है, लेकिन कुछ महिलाएं इससे काफी देर से, यानी 55 वर्ष के बाद भी गुजरती हैं. इसे लेट मेनोपॉज कहा जाता है.


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हालांकि, लेट मेनोपॉज एक नेचुरल प्रोसेस है, लेकिन इसके साथ जुड़ी हेल्थ प्रॉब्लम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. लेट मेनोपॉज के साइड इफेक्ट्स कितने गंभीर हो सकते हैं, यहां आप हम आपको बता रहे हैं-
 


हार्ट डिजीज का खतरा

लेट मेनोपॉज से गुजरने वाली महिलाओं में हार्ट डिजीज का खतरा अधिक होता है. मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर घट जाता है, जो हार्ट हेल्थ को बनाए रखने में मदद करता है. जब यह हार्मोन कम होता है, तो खून की नालियों में सूजन आने लगता है और खून का थक्का बनने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है.

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ऑस्टियोपोरोसिस

जैसे-जैसे एस्ट्रोजन का स्तर कम होता है, हड्डियों का घनत्व भी घटने लगता है, जिसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों का कमजोर होना और फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है. देर से मेनोपॉज का असर हड्डियों पर और भी ज्यादा पड़ सकता है, क्योंकि इस स्थिति में हड्डियां पहले से कमजोर होने लगती है.


ब्रेस्ट कैंसर

लेट मेनोपॉज से ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है. एस्ट्रोजन का लंबे समय तक उच्च स्तर ब्रेस्ट कैंसर की संभावना को बढ़ा सकता है, क्योंकि यह हार्मोन ब्रेस्ट के सेल्स को विभाजित करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है. शोधों में यह पाया गया है कि जिन महिलाओं का मेनोपॉज 55 वर्ष के बाद होता है, उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा सामान्य से अधिक होता है.

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गर्भाशय का कैंसर

लेट मेनोपॉज से गर्भाशय के कैंसर का भी खतरा बढ़ सकता है. जब एस्ट्रोजन का स्तर लंबे समय तक उच्च रहता है, तो यह गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) को मोटा करने का कारण बन सकता है, जिससे एंडोमेट्रियल कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है.


खराब मेंटल हेल्थ

मेनोपॉज के बाद हार्मोनल बदलाव महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकते हैं. देर से मेनोपॉज का अनुभव करने वाली महिलाओं में डिप्रेशन, एंग्जाइटी, और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं बढ़ जाती है. 


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.