नई दिल्ली: अपनी त्वचा का ख्याल हर कोई रखना चाहता है. लोग अपनी त्वचा को खूबसूरत और जवान बनाए रखने के लिए कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स (Beauty Products) का इस्तेमाल करते हैं. त्वचा का ख्याल रखने के लिए ऐसा ही एक जरूरी प्रोडक्ट है सनस्क्रीन लोशन (Sunscreen) या क्रीम. सनस्क्रीन एक ऐसी क्रीम है, जो हमारी स्किन को सूरज की हानिकारक यूवी (UV) और यूवीबी किरणों (UVB Rays) से सुरक्षित रखती है.


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आज-कल मार्केट में सनस्क्रीन की कई वैराइटीज मौजूद हैं. सनस्क्रीन खरीदते समय आपको यह ध्यान देना जरूरी है कि आप किस लेवल की धूप में बाहर जा रहे हैं या किस लेवल की धूप वाले स्थान पर आप रहते हैं. आमतौर पर भारत जैसे देश में होने वाली तेज व चमकदार धूप के लिए एसपीएफ-50 लेवल (SPF 50 Level) की क्रीम का इस्तेमाल करना उपयुक्त होता है.


सनस्क्रीन से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई
सुंदर व स्वस्थ त्वचा के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है. हालांकि, लोगों के मन में सनस्क्रीन से जुड़े कई मिथक हैं. जानिए उनकी सच्चाई.


मिथक 1- दिन भर में एक बार लगाना काफी है
लोगों का मानना है कि घर से बाहर निकलते वक्त सनस्क्रीन लगाने पर वह पूरे दिन काम करती है. लेकिन यह सही तथ्य नहीं है. सनस्क्रीन का रोशनी में आने के थोड़े समय के बाद असर कम होने लगता है. अगर आप लगातार धूप में हैं तो हर दो से चार घंटे में सनस्क्रीन का इस्तेमाल फिर से करना चाहिए.


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मिथक 2- सनस्क्रीन लगाने पर त्वचा काली नहीं पड़ती
एक अच्छा सनस्क्रीन यूवीबी और यूवीए किरणों से सुरक्षा का काम करता है. हालांकि यह पूरी तरह से कह पाना सही नहीं है कि सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने के बाद भी त्वचा काली नहीं पड़ेगी. इसका कारण यह है कि सनस्क्रीन त्वचा को सूरज की ज्यादातर किरणों से तो बचा लेता है लेकिन फिर भी कुछ मात्रा तक तो धूप पहुंच ही जाती है और स्किन काली पड़ सकती है.


मिथक 3- स्किन को ढकने से अच्छा है सनस्क्रीन लगाना
सनस्क्रीन को लेकर एक मिथक यह भी है कि अगर आपने इस सनस्क्रीन क्रीम का इस्तेमाल किया है तो आप जितना चाहें धूप में रहें, यूवीए और यूवीबी किरणें आपकी त्वचा पर बुरा असर नहीं डालेंगी. साथ ही आपको किसी कपड़े अथवा कैप आदि से अपनी स्किन को कवर करने की भी जरूरत नहीं होगी. अगर आप ऐसा सोचते हैं तो यह गलत है क्योंकि त्वचा को ढक कर रखना सनस्क्रीन की तुलना में काफी सुरक्षित होता है.


मिथक 4- डार्क स्किन वालों को सनस्क्रीन की जरूरत नहीं
कुछ लोगों को भ्रम है कि डार्क स्किन यानी गहरे रंग वाले लोगों को सनस्क्रीन की जरूरत नहीं होती है. लेकिन यह गलत है. गहरे रंग वाले लोगों को भी सनस्क्रीन लगानी चाहिए. हां, यह बात सही है कि त्वचा में ज्यादा मेलेनिन (Melanin) वाले लोगों को सनस्क्रीन का उपयोग करने की ज्यादा जरूरत नहीं होती है क्योंकि मेलेनिन में यूवीबी किरणों को डिफ्यूज करने की क्षमता होती है.


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एक तथ्य के अनुसार गहरे रंग वालों को धूप या सनबर्न से उतना नुकसान नहीं होता जितना कि लाइट कलर वाले लोगों को होता है. लेकिन अपनी त्वचा की रक्षा के लिए गहरे रंग वाले लोगों को भी फुल स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन (Full Spectrum Sunscreen) का इस्तेमाल करना चाहिए.


मिथक 5- शरीर में विटामिन डी को पहुंचने से रोकता है सनस्क्रीन
सनस्क्रीन को लेकर कुछ लोग मानते हैं कि इसकी लेयर आपकी त्वचा को विटामिन डी (Vitamin D) नहीं लेने देती है. लेकिन यह तथ्य पूरी तरह से सही नहीं है. सूर्य की किरणें इतनी तेज होती हैं कि अगर वे हमारे कपड़ों पर भी पड़ रही हैं तब भी शरीर को विटामिन डी मिल जाता है.


मिथक 6- सनस्क्रीन से हेल्थ प्रॉब्लम्स होती हैं
सनस्क्रीन को बनाने में ऑक्सीबेंजोन नामक एक पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है. कुछ समय पहले ऑक्सीबेंजोन को लेकर एक रिसर्च किया गया था. इस रिसर्च में चूहों पर इस तत्व का बुरा प्रभाव सामने आया था. इसकी सच्चाई यह है कि सनस्क्रीन में प्रयुक्त किया जा रहा ऑक्सीबेंजोन नामक तत्व मनुष्य को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा रहा है. ऐसा कोई भी तथ्य सामने नहीं आया है कि किसी मनुष्य को सनस्क्रीन में मौजूद इस ऑक्सीबेंजोन नाम के तत्व ने नुकसान पहुंचाया हो.


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मिथक 7- सभी सनस्क्रीन एक जैसे होते हैं
सनस्क्रीन को लेकर यह मिथक है कि सभी सनस्क्रीन एक जैसे होते हैं. यह मिथक गलत है. सनस्क्रीन को टाइटेनियम डाइऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड और एकमसूल जैसी सामग्री का प्रयोग करके बनाया जाता है. इसके अलावा कई केमिकल भी इसमें प्रयोग किए जाते हैं. ये सभी तत्व अलग-अलग प्रकार से सनबर्न से स्किन की रक्षा करते हैं. इनमें से फुल स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन को सबसे अच्छा माना जाता है. सबसे पावरफुल यूवी किरणों से युक्त सनस्क्रीन स्किन को सनबर्न से बचाता है. आमतौर पर 15 या उससे ज्यादा के साथ एसपीएफ वाले सनस्क्रीन भारत जैसी जलवायु के लिए उपयुक्त माने गए हैं.


मिथक 8- वॉटरप्रूफ होता है सनस्क्रीन
सनस्क्रीन को लेकर कुछ लोग मान बैठते हैं कि सनस्क्रीन वॉटरप्रूफ क्रीम होती है. लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है. सनस्क्रीन कोई भी हो, यह पूरी तरीके से वॉटरप्रूफ नहीं हो सकती. इसलिए पानी के संपर्क में आने के बाद हमेशा वॉटरप्रूफ सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर आप किसी वॉटर पार्क या स्विमिंग पूल में नहाने जा रहे हैं तो कम से कम 10 से 15 मिनट पहले सनस्क्रीन लोशन लगाना चाहिए.


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मिथक 9- सनस्क्रीन एक्सपायर नहीं होती
एक मिथक के अनुसार यह माना जाता है कि सनस्क्रीन क्रीम कभी एक्सपायर (Expire) नहीं होती. वास्तव में यह तथ्य गलत है. कोई भी सनस्क्रीन अपनी मैन्युफैक्चरिंग डेट के हिसाब से एक्सपायर होता है और इसमें यूवी किरणों से बचाने वाले एक्टिव तत्व का असर कम होता चला जाता है. किसी भी सनस्क्रीन की भी दवाई आदि के समान ही एक्सपायरी डेट होती है. इसलिए किसी एक्सपायरी डेट वाली सनस्क्रीन को लगाकर धूप में न निकलें.


सनस्क्रीन एक ऐसा प्रोडक्ट है, जिसका नियमित रूप से इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अब इसके बारे में सही और गलत बातें आप जान ही चुके होंगे. तो अब आप इसका इस्तेमाल बिना किसी उलझन के कर सकते हैं.


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