Opinion: अम्मा, मम्मी, माई, आई, मां... शब्द कोई भी हो अहसास तो एक ही है; फिर मां के संघर्षों के लिए सिर्फ 1 दिन क्यों?
Mother`s Day: गीता में कहा गया है कि `जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी`. अर्थात, जननी और जन्मभूमि, स्वर्ग से भी बढ़कर हैं. यानी अगर इस दुनिया में कहीं भी स्वर्ग मिलता है तो वो मां के चरणों में ही मिलता है.
Mother's Day 2024: कहते हैं, ईश्वर हर जगह मौजूद नहीं रह सकता, इसलिए उसने मां को इस धरती पर भेजा, जिसको भगवान का दर्जा दिया गया है. गीता में भी कहा गया है कि 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी'. अर्थात, जननी और जन्मभूमि, स्वर्ग से भी बढ़कर हैं. यानी अगर इस दुनिया में कहीं भी स्वर्ग मिलता है तो वो मां के चरणों में ही मिलता है. मां की आंचल और ममता और उसके प्यार को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, उसे केवल महसूस किया जा सकता है.
वैसे तो मदर्स डे हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है और यह इस साल 12 मई को है, लेकिन क्या एक मां के लिए यह काफी है. मां को प्यार करने के लिए तो साल के 365 दिन भी कम पड़ जाएं, फिर क्या एक दिन उसके सम्मान में पर्याप्त है. ऐसे में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मदर्स डे कब है या इसे कब मनाया जाए. मां के त्याग के आगे एक बच्चे के पास मां को देने के लिए एक दिन क्या एक जन्म भी कम पड़ जाए.
मां को कभी भी किसी भी दिन या तारीख से तोला नहीं जा सकता. मां इस धरती की जननी है और इसके लिए साल में सिर्फ 24 घंटे काफी नहीं है. मां एक ऐसा शब्द है जो जुबां पर शहद घोल देता है. मां का अपने बच्चों से रिश्ता परिभाषाओं की परिधि से परे है. मां, बेशुमार संघर्षों में अनायास खिल उठने वाली एक आत्मीय मुस्कान, एक शीतल अहसास होती है.
मां को अनेक नामों से बुलाते हैं. वह किसी के लिए अम्मा होती है तो किसी के लिए मम्मी. कोई ममा बुलाता है तो कोई आई. कुछ जगहों पर मां, माता और माई जैसे रूपों में भी पुकारी जाती है. भले उसे किसी नाम से पुकारों पर उसका दुलार हर नाम में एक जैसा और निस्वार्थ होता है. मां शब्द अपने आप में पूर्ण है, जिसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती.
एक बच्चे के लिए उसकी दुनिया उसकी मां होती है. बच्चा पहली बार जब अपने मुंह से कोई शब्द निकालता है तो वो मां ही है. बचपन ही क्यों, उम्र का कोई भी पड़ाव हो, मां की आंचल से ज्यादा सुकून कहीं और नहीं मिलता. जब किसी को कोई दुख-तकलीफ हो या अचानक कभी चोट लग जाए, तब भी सबसे पहले मुंह से मां का ही नाम निकलता है.
मां, अपने बच्चों को हमेशा देना ही जानती है और वह अपने पूरे जीवन में केवल यही सोचती है कि वह अपनी संतान के लिए क्या क्या करे, जिससे वह सुखी जीवन व्यतीत करें. हम सबके हर विचार-भाव के पीछे मां द्वारा रोपित किए गए संस्कार के बीज हैं, जो जीवन रूपी वृक्ष पर सफलता के फल लगाते हैं. इसलिए, आजकल की बिजी लाइफ में हर किसी के लिए भले एक दिन हो, पर मातृ दिवस यानी मदर्स डे को मनाना आवश्यक हो जाता है. हम अपने व्यस्त जीवन में यदि हर दिन न सही तो कम से कम साल में एक बार मां के प्रति पूर्ण समर्पित होकर इस दिन को उत्सव की तरह मनाएं तो यह एक मां के लिए सम्मान होगा.
मदर्स डे एक मौका है, जब परिवार के भारी-भरकम बोझ को अपने कंधों पर ढोने वाली मां के प्रति अपनी भावनाओं को जाहिर करें कि वह कितनी खास हैं. अगर हमें मदर्स डे मनाना है तो सबसे पहले अपनी मां को एक बार प्यार से मां कह दें, शायद इससे नायाब तोहफा एक मां के लिए और कुछ हो ही नहीं सकता.