जिन बच्चों का अपने माता-पिता के साथ प्रेमपूर्ण रिश्ता होता है, वे बड़े होकर दूसरों के प्रति अधिक दयालु और मददगार होते हैं. इसके विपरीत, जिनका बचपन अपने परिवार के साथ तनावपूर्ण या अपमानजनक गुजरता है, उनमें सहानुभूति, उदारता, दयालुता और मदद जैसे सामाजिक लक्षण विकसित होने की संभावना कम होती है.


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इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बिहेवियरल डवलपमेंट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में ये निष्कर्ष सामने आए हैं. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के अध्ययन के मुताबिक, तीन साल तक अपने माता- पिता के साथ घनिष्ठ संबंध होने से किशोरावस्था के दौरान मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं. किसी व्यक्ति की समाज के प्रति क्या राय होती है, यह उसे बचपन में मिले माहौल से तय होती है.


प्रतिभागियों से पूछे गए कई सवाल
शोधार्थियों ने अध्ययन में हिस्सा लेने वाले लोगों से कई प्रश्न किए. इनमें उनसे पूछा गया कि अगर किसी को चोट लगी है तो क्या करेंगे, क्या आपको अपने परिवार से कोई शिकायत है, बचपन में परिवार में घटी कोई दुख पहुंचाने वाली घटना, माता-पिता का उनके प्रति बचपन में कैसा रवैया रहा, भविष्य में आप अपने बच्चों के साथ कैसा रिश्ता रखना चाहेंगे आदि. इन सवालों से मिले जवाब के आधार पर अध्ययन किया गया.


बचपन में मिला माहौल छोड़ता है प्रभावी छाप
अध्ययन के मुख्य लेखक इओनिस कैट्सेंटोनिस ने कहा कि माता-पिता के साथ हमारा शुरुआती रिश्ता बड़े होने तक प्रभावी छाप छोड़ता है. बचपन में मिला माहौल किसी मनुष्य का व्यक्तित्व निर्धारित करने का काम करता है. वर्ष 2000 से वर्ष 2002 के बीच ब्रिटेन में पैदा हुआ 10 हजार लोगों पर हुए अध्ययन में ये निष्कर्ष सामने आए.


अच्छा आचरण जरूरी
शोधार्थियों ने कहा कि बच्चों को जैसी परवरिश और शिक्षा देना चाहते हैं वैसा ही आचरण माता-पिता को रखना चाहिए. बच्चे जो देखते और सुनते हैं वही उनके स्वभाव में रच बस जाता है. इसलिए बच्चों के सामने जो भी कहना हो वह हमेशा सोच-समझकर कहना चाहिए. वहीं, बड़े अक्सर बच्चों के लिए अपमानजनक भाषा का उपयोग कर जाते हैं. यह बच्चों के मन में हमेशा के लिए बना रह सकता है. उनका व्यवहार लोगों के प्रति भी वैसा ही हो जाता है.