White Hair: क्या High BP के मरीजों के बाल जल्दी होते हैं सफेद? जानिए इनके बीच क्या है कनेक्शन
White Hair And High BP Connection: सफेद बाल और हाई ब्लड प्रेशर दोनों ही सुनने और देखने में अलग-अलग लगते हैं, लेकिन क्या दोनों के बीच कुछ कनेक्शन भी है?
White Hair And High Blood Pressure Relation: सफेद बाल और हाई ब्लड प्रेशर दोनों ही मौजूदा दौर की कॉमन प्रॉब्लम्स बन चुकी है, भारत ही नहीं पूरी दुनिया में ऐसे मरीजों की तादाद काफी ज्यादा है. बीपी का बढ़ने की वजह हाई कोलेस्ट्रॉल है वहीं मेलनिन की कमी के कारण बालों में सफेदी आने लगती है. हालांकि दोनों की परेशानियों को खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी फूड हैबिट्स से जोड़कर देखा जाता है. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल न किया गया तो ये हार्ट अटैक (Heart Attack), स्ट्रोक (Stroke), कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) या ट्रिपल वेसल डिजीज (Triple Vessel Disease) जैसी बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है क्या हाई बीपी कम उम्र में सफेद बाल आने की वजह भी बनता है? आइए जानते हैं,
कितना होना चाहिए ब्लड प्रेशर?
जब बीपी मशीन में आंकड़ा 120/80 से लेकर 129/80 एमएम एचजी से ज्यादा होता है तो हाई बल्ड प्रेशर की समस्या पैदा हो जाती है, ऐसे में दिल की बीमारियां शुरू होने लगती है जो पुरुषों में गंजापन और वक्त से पहले बाल सफेद बाल पैदा करता है, कई मामलों में तो सिर पर ग्रे हेयर भी देखने को मिलते हैं.
हाई बीपी और सफेद बालों का रिश्ता
जैसा कि हमने बताया कि हाई ब्लड प्रेशर कई दूसरी बीमारियों की वजह है. चूंकि इसकी वजह से यंग एज ग्रुप की महिलाओं की तुलना में पुरुषों को सफेद बालों की समस्या ज्यादा होती है. सफेद बाद आपकी खराब से का भी इशारा हो सकता है. व्हाइट हेयर की समस्या तब आ सकती है, जब ब्लड प्रेशर ज्यादा हो और इसके कारण दिल की बीमारी पैदा होती है जो बाल पकने की वजह बन सकती है. इसका मतलब ये हुआ कि व्हाइट हेयर का रिश्ता दरअसल हार्ट डिजीज से है, जो कि हाई बीपी की वजह से होता है.
न बढ़ने दें दिल की बीमारी
हार्ट हमारे शरीर का एक बेहद अहम अंग है, ये जन्म से लेकर आखिरी सांस तक बिना रुके धड़कता रहता है, इसलिए दिल का ख्याल रखना बेहद जरूरी है वरना जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है. सबसे जरूरी है कि आप ऑयली फूड खाना छोड़ दें और हेल्दी डाइट को चुनें, साथ ही फिजिकल एक्टिविटीज पर भी ध्यान दें.
हार्ट डिजीज की वॉर्निंग साइन
-सीने में दर्द होना
-सांस लेने में दिक्कत
-दिल की धड़कनों में अनियमितता
-कम रूम टेम्प्रेचर में भी पसीना आना
-बेचैनी, चक्कर आना और थकावट होना
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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