आज के समय में बहुत ऐसे कपल हैं जो लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं या रहने की प्लानिंग कर रहे हैं. जब कोई भी दो लोग एक साथ रहते हैं तो कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसे में मनमुटाव होना बहुत आम बात है. चाहें वो दो भाई का संबंध हो, मां बेटे का संबंध हो, पति-पत्नी का संबंध हो, रूम मेट्स का संबंध हो, या प्रेमी-प्रेमिका संबंध हो. हर रिश्ते में उतार चढ़ाव आता रहता है, और साइकोलॉजी के हिसाब से किसी भी रिश्ते में मनमुटाव आना बहुत आम बात है और इससे ये समझ आता है कि दोनों को अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र हैं. 


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इसी से मिलता जुलता लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले पार्टनर्स का संबंध होता है. जब प्रेमी जोड़े एक साथ रहते हैं तो कई तरीके की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. और खास तौर पर जब दो प्रेमी एक साथ रहते हैं तो उनके सामने एक चुनौती ये भी होती है कि दोनों को एक दूसरे के लिए एफर्ट करना है. ऐसे में इसका असर मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है. अब दुनिया में हर चीज का कुछ न कुछ फायदा या नुकसान होता है. ऐसे में आइए इस लेख में जानते हैं कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने के क्या 5 फायदे और नुकसान हो सकते हैं.


ये रहे 5 फायदे-


इमोशनल सिक्योरिटी: साथ रहने से इमोशन सिक्योरिटी और साथ रहने का भाव पैदा होता है, जो मानसिक सेहत के लिए जरूरी है. हर समय पार्टनर की मौजूदगी एक हेल्पिंग एनवायरमेंट बनाता है. 
जिम्मेदारियां बॉटने का तालमेल: घरेलू कामों और आर्थिक जिम्मेदारियों का बंटवारा हो जाता है, जिससे तनाव कम होता है और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने में मदद मिलती है.
गहरी समझ: साथ रहने से पार्टनर की आदतों, स्वभाव और खूबियों को बेहतर तरीके से समझने का मौका मिलता है. इससे इमोशनल इंटेलिजेंस बढ़ता है और खुद को निखारने में मदद मिलती है.
संबंध लंबा चलता है: जो लोग शादी को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं, उनके लिए लिव-इन रिलेशनशिप एक अच्छा विकल्प हो सकता है. साथ रहने से उन्हें बिना शादी के ही एक स्थायी रिश्ते के कई फायदे मिल जाते हैं.
रिश्ते में आजादी और स्वतंत्रता: परंपरागत शादी के उलट, लिव-इन रिलेशनशिप में फ्लेक्सिबिलिटी और स्वतंत्रता का भाव होता है, जो कुछ लोगों को मानसिक रूप से सहज बनाता है. 


ये रहे 5 नुकसान


फ्यूचर ब्लर होती हैं: कानूनी दांव पेंच और सामाजिक ताना बाना होने की वजह से फ्यूचर के लिए कमिटमेंट कर पाना मुश्किल होता है. इस नाजुक कमेटमेंट की वजह से इनसिक्योरिटी, चिंता और बातचीत में दिक्कते आ सकती हैं.


बाहरी दबाव: कई बार अगर समाज मान भी ले तो खानदानी परंपराओं और मान्यताओं की वजह से कुछ लोग लिव-इन रिलेशनशिप को बुरी नजर से भी देखते हैं. ऐसे बाहरी तनावों से निपटने के लिए दिमाग पर प्रभाव पड़ता है.


कमिटमेंट कंसर्न: साथ रहने से भले ही लंबे समय तक साथ चलने की संभावना का पता चलता हो, मगर हमेशा कमिटमेंट को लेकर इनसिक्योरिटी बनी रहती है. कोई लिखित या कानूनी रूप से समझौता न होने के अभाव में हमेशा एक अनिश्चितता बनी रहती है.


आर्थिक उलझन: बिना किसी कानूनी सुरक्षा के साथ आर्थिक मामलों और संपत्ति या और चीजों को साझा करने से रिश्ते टूटने पर दिक्कतों का सामना कर पड़ सकता है.


सामाजिक मान्यता का अभाव: लिव-इन पार्टनर्स को कई बार कुछ कानूनी अधिकार, सुविधाएं या सामाजिक मान्यता नहीं मिल पाती है, जो शादीशुदा जोड़ों को मिलती है. जिसकी वजह से रिलेशनशिप में इंसेक्योरिटी बनी रहती है.