पिता और बेटे का रिश्ता बहुत ही मतभेदों से भरा होता है. उम्र के साथ एक पड़ाव इस रिश्ते में ऐसा भी आता है कि दोनों आमने-सामने बैठकर किसी मुद्दे पर साथ मिलकर फैसला भी नहीं कर पाते हैं. इन्हें हमेशा बात करने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति की जरूरत पड़ती है. लेकिन ऐसा आखिर क्यों होता है, कि बचपन में जिस बेटे की छोटी-छोटी ख्वाहिशें पिता के लिए प्राथमिकता होती है, उसके बड़े होते ही दोनों के बीच रिश्ते में तनाव क्यों आ जाता है?


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इसका जवाब आप ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु के एक इंटरव्यू से समझ सकते हैं, जहां फिल्म प्रोड्यूसर करण जौहर ने उनसे यह सवाल किया था कि बाप-बेटे के रिश्ते में तनाव की स्थिति और एक तरह की दूरियां क्यों होती है.



सद्गुरु ने दिया ये जवाब 

सद्गुरु ने करण जौहर के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि बाप-बेटे के रिश्ते में तनाव और दूरियों की वजह उनका पुरुष होना है. आसान भाषा में आप इसे स्वामित्व की लड़ाई भी कह सकते हैं. 


इस उम्र से बढ़ती हैं दूरियां

सद्गुरु बाप-बेटे के रिश्ते पर प्रकाश डालते हुए बताते हैं कि दोनों को रिश्ता 9-10 साल तक की उम्र तक अच्छा होता है. एक बेटे के लिए उसका बाप भगवान और सुपर हीरो जैसा होता है. लेकिन जैसे ही बच्चा 15-16 साल का होता है उसके मन में पिता की छवि पूरी तरह से बदल जाती है. इस उम्र में लोग सुपीरियर फील करना चाहते हैं, लेकिन बाप के रहते बेटा ऐसा नहीं कर पाता है जिसके कारण दोनों में दूरियां आ जाती हैं.


इस वजह से बाप-बेटे की नहीं बनती

सद्गुरु बताते हैं कि बाप-बेटे के बीच नहीं बनने की वजह उनका रिश्ता नहीं बल्कि दो पुरुषों के बीच चलने वाली अपने अहम की लड़ाई होती है. यह दोनों ही लोग एक जगह और एक महिला को बांटने की कोशिश में होते हैं, जो कि एक पत्नी और एक मां है.