Why Couples Are Opting For Sleep Divorce: भारत में शादी को जीवनभर का साथ माना जाता है, लेकिन कई बार कपल्स के लिए एक छत के नीचे रहना मुश्किल हो जाता है, जिसके बाद वो तलाक का फैसला ले लेते हैं, लेकिन ऐसा करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता क्योंकि इससे जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है. पिछले कुछ सालों से शहरों में 'स्लीप डिवॉर्स' (Sleep Divorce) का चलन बढ़ा है, आखिर ये किस बला का नाम है.


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क्या है स्लीप डिवॉर्स?

आमतौर पर तलाक का मतलब होता है पति और पत्नी का अलग हो जाना, लेकिन 'स्लीप डिवॉर्स' एक ऐसा प्रचलन जिसमें कपल एक घर में तो रहते हैं, लेकिन एक साथ सोते नहीं है. अब सवाल उठता है कि ऐसा करने की नौबत क्यों आ रही है.


क्यों अपनाया जा रहा है ये तरीका?

शहरों में कई फैमिली ऐसी है जिसमें पति और पत्नी दोनों ही नौकरी पर जाते हैं. इन दोनों का वर्किंग आवर्स अलग-अलग हो सकता है. इस भागदौड़ भरी जिंदगी में चैन की नींद बेहद जरूरी है, लेकिन पार्टनर की कुछ हरकतों की वजह से नींद में खलल पड़ता है, जैसे देर रात तक लाइट जलाकर किताब पढ़ना या तेज खर्राटे लेना. ऐसे में में कपल्स सहमति से अलग अलग कमरे में सोने का फैसला लेते हैं. यानी साथ रहकर भी एक साथ नहीं सोना.


स्लीप डिवॉर्स के फायदे

-7 से 8 घंटे की सुकून भरी नींद
-स्लीप क्वालिटी में सुधार
-पैर और बदन फैलाकर सोने की आजादी
-नींद में किसी तरह का खलल नहीं पड़ता


क्या 'स्लीप डिवॉर्स' के कारण खत्म होगी इंटीमेसी?

 'स्लीप डिवॉर्स' को लाइफ लॉन्ग प्रोसेस के तौर पर न अपनाकर सिर्फ एक विकल्प की तरह आजमाया जाए तो रिश्ता प्रभावित नहीं होगा, बल्कि ये एक दूसरे को सुकून पहुंचाने का जरिया है. अगर आप प्लानिंग करके वीकेंड पर साथ सोते हैं और इंटीमेट होते हैं, तो दोनों के बीच कभी दूरियां नहीं आएंगी. जब पार्टनर अच्छी नींद लेगा तभी वो खुश रह पाएगा फिर आपसे रिश्ता भी बेहतर हो सकता है.