रिलेशनशिप में `थ्रोनिंग` किसे कहते हैं? जानिए लोग ऐसे रिश्ते को क्यों चुनते हैं
रिलेशनशिप में `थ्रोनिंग` शब्द को भले ही आजकल ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन ये कॉन्सेप्ट सदियों से चला आ रहा है, आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं.
What is Throning in Relationship: मौजूदा दौर में रिश्तों की दुनिया में नई-नई शर्तें और ट्रेंड्स जुड़ते जा रहे हैं. इनमें से एक अनोखा कॉन्सेप्ट है 'थ्रोनिंग'. रिलेशनशिप की इस यूनिक डेफिनेशन ने हाल ही में पॉपुलैरिटी हासिल की है, खासकर सोशल मीडिया पर. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका असल मतलब क्या होता है, और लोग इस तरह के रिश्ते में क्यों शामिल होना चाहते हैं?
'थ्रोनिंग' किसे कहते हैं?
ये रिलेशनशिप सेलिब्रिटी कपल किम कार्दशियन (Kim Kardashian) और कान्ये वेस्ट ( Kanye West) से काफी हद तक इंस्पायर्ड है. 'थ्रोनिंग' का मतलब है किसी ऐसे ऐसे इंसान के साथ रिश्ते में रहना जो आपको एक तरह से "थ्रोन" यानी राज सिंहासन पर बैठा महसूस कराए. इसमें पार्टनर आपको अपनी जिंदगी का सबसे अहम इंसान मानता है और आपके लिए चीजें ऐसे करता है जैसे आप उनकी लाइफ के राजा या रानी हों. यानी एक साथ दूसरे को अपने से बहुत ऊंचा मानाता है. पार्टनर का छोटा से छोटा काम उनकी प्रायोरिटी में आता है
ये वो रिश्ते होते हैं, जहां एक पार्टनर दूसरे को उसकी भावनाओं, जरूरतों और ख्वाहिशों के लिए पूरा स्पेस और इज्जत देता है. इस तरह के रिलेशनशिप में आप अपने साथी से बेइंतहा प्यार और सपोर्ट की उम्मीद कर सकते हैं. आपको ऐसा महसूस होता है कि जैसे आप उनकी जिंदगी में सबसे खास व्यक्ति हैं और उनकी लाइफ आपके बिना अधूरी है.
लोग 'थ्रोनिंग' रिलेशनशिप क्यों चुनते हैं?
इस तरह का रिलेशनशिप लोग इसलिए चुनते हैं क्योंकि इसमें वो सेफ और सिक्योर महसूस करते हैं आज की तेज-तर्रार दुनिया में जहां ज्यादातर लोग इमोशनल सेफ्टी के लिए तरसते हैं, ऐसे में एक पार्टनर का अपने साथी को महत्व देना, उसकी जरूरतों को समझना और उसे संतुष्ट रखना, लोगों को आकर्षित करता है.
'थ्रोनिंग' रिलेशनशिप उन लोगों के लिए भी फायदेमंद साबित होती है जो कमिटमेंट में यकीन रखते हैं. उन्हें लगता है कि उनका पार्टनर उनकी देखभाल और सम्मान करता है, जिससे उनके रिश्ते में स्थिरता आती है. इसके अलावा, इस तरह के रिश्ते में कॉन्फिडेंस बढ़ता है और इमोशनल अटैचमेंट भी मजबूत होता है.
'थ्रोनिंग' के नुकसान
इस तरह के रिश्तों में एक बड़ी चुनौती यह होती है कि इसमें एक पार्टनर ज्यादा डॉमिनेंट हो सकता है, और इससे दूसरे साथी की अपनी पहचान कहीं खो सकती है. इसके अलावा, अगर रिश्ते में बैलेंस नहीं है, तो एक पार्टनर पर हद से ज्यादा डिपेंडेंसी बढ़ सकती है, जो फ्यूचर के लिए प्रॉब्लम्स पैदा कर सकती हैं.