Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड सुरंग हादसा बीते एक पखवाड़े से सुर्खियों में है. सुरंग से मजदूरों को निकालने के लिए सरकार और प्रशासन ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. 16 दिन बाद मजदूरों को बाहर लाने के लिए चलाया गया रस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो सका. अब सभी 41 मजदूर सुरक्षित हैं. पूरा देश मजदूरों की सकुशल वापसी की कामना कर रहा था. मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालते ही अस्पताल में भर्ती कराया गया.


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आंखों में हो सकती है दिक्कत


मजदूरों को हेल्थ चेकअप के बाद ही छोड़ा जाएगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो मजदूरों को 16 दिन तक अंधेरी सुरंग में फंसे होने की वजह से सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का रिस्क हो सकता है. सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की थी कि 16 अंधेरे में रहने के बाद अचानक उजाले में आने के बाद मजदूरों को आंखों में दिक्कत हो सकती है. एक्सपर्ट्स ने मजदूरों के लिए आंखों के अलावा भी कई हेल्थ रिस्क का जिक्र किया है.   


लंग इंफेक्शन का रिस्क


मजदूर 16 दिनों तक सुरंग में फंसे रहे.. यह एक लंबा वक्त होता है. सुरंग में ऑक्सीजन की कमी होती है. इस सुरंग में भी फंसे हुए मजदूरों के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई करनी पड़ी थी. सही मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने की वजह से मजदूरों को लंग्स का इंफेक्शन हो सकता है. लंग इंफेक्शन सांस से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकता है. मजदूरों के लंग्स में पानी जमा होने का भी रिस्क हो सकता है. इस केस में समस्या का बाद में पता चलता है.


बैक्टिरियल इंफेक्शन का भी खतरा


सही आहार न मिलना और पानी के कम सेवन की वजह से मजदूरों में डिहाइड्रेशन की समस्या भी देखने को मिल सकती है. इसके अलावा एक्सपर्ट्स का कहना है कि 16 दिन से सुरंग में एक साथ ही थे. जिसके कारण बैक्टिरियल इंफेक्शन का भी खतरा है. बैक्टीरिया और फंगस इंफेक्शन के चलते स्किन की बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है.


एंग्जाइटी और डिप्रेशन का रिस्क


इसके साथ ही टनल में इतने में लंबे वक्त से फंसे होने के कारण मजदूरों की मनोदशा पर भी असर पड़ सकता है. सुरंग में रहने के दौरान उनके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे. जिस कारण एंग्जाइटी और डिप्रेशन का रिस्क भी ज्यादा है. ऐसे में मजदूरों की मनोरोग विशेषज्ञ से काउंसलिंग कराना भी जरूरी है.