आंखों की जांच से 12 साल पहले पता चल सकता है डिमेंशिया का खतरा, रिसर्च का चौंकाने वाला दावा
डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारी की पहचान के लिए अब आंखों की जांच एक महत्वपूर्ण फैक्टर बन सकती है. अब एक नई स्टडी में पाया है कि हमारी आंखें दिमाग की सेहत के बारे में काफी कुछ बताती हैं.
डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारी की पहचान के लिए अब आंखों की जांच एक महत्वपूर्ण फैक्टर बन सकती है. इंग्लैंड की लफबरो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नई स्टडी में पाया है कि हमारी आंखें दिमाग की सेहत के बारे में काफी कुछ बताती हैं. अमेरिकी राष्ट्रीय चिकित्सा पुस्तकालय (US National Library of Medicine) में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, आंखों की सेहत डिमेंशिया की भविष्यवाणी कर सकती है, वह भी इस बीमारी का पता चलने से कम से कम 12 साल पहले.
डिमेंशिया दुनियाभर में वृद्ध लोगों में अक्षमता और निर्भरता का एक प्रमुख कारण है. वर्तमान में, यह मृत्यु का सातवां सबसे बड़ा कारण है और दुनिया भर में 5.5 करोड़ से अधिक लोग इससे पीड़ित हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जो किसी व्यक्ति की याद रखने, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर कर देती है, जिससे डेली कामों को करने में परेशानी होती है. अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है.
8000 से ज्यादा लोगों पर आधारित अध्ययन
शोधकर्ताओं ने इंग्लैंड के नॉरफोक में 8623 हेल्दी लोगों पर आधारित एक अध्ययन किया, जिनका कई वर्षों तक अनुसरण किया गया. अध्ययन के अंत तक 537 प्रतिभागियों में डिमेंशिया विकसित हो चुका था, जिससे यह पता लगाया जा सका कि इस डायग्नोस से पहले कौन से फैक्टर हो सकते हैं. अध्ययन की शुरुआत में, प्रतिभागियों से विजुअल सेंसिटिव टेस्ट (visual sensitivity test) करवाया गया.
क्या बोले एक्सपर्ट
लेखकों के अनुसार, टेस्ट के लिए प्रतिभागियों को तब एक बटन दबाना था, जब उन्हें चल रहे डॉट्स के बीच एक त्रिकोण बनता हुआ दिखाई दे. जिन लोगों में भविष्य में डिमेंशिया विकसित होना था, वे स्क्रीन पर इस त्रिकोण को देखने में डिमेंशिया ना होने वालों की तुलना में कहीं अधिक धीमे थे.
दृष्टि में बदलाव
अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक, मेमोरी संबंधी समस्याओं के शुरुआती लक्षण हमेशा भूलने से जुड़े नहीं होते हैं, बल्कि इनमें दृष्टि में बदलाव भी शामिल हो सकते हैं. अल्जाइमर रोग में, हानिकारक एमाइलॉइड प्लेक (amyloid plaques) दिमाग के उन हिस्सों को सबसे पहले प्रभावित कर सकते हैं जो आंखों से जुड़े होते हैं. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, याददाश्त से जुड़े क्षेत्रों को नुकसान पहुंचता है, जिससे मेमोरी पावर में स्पष्ट गिरावट आती है. इसलिए शोधकर्ताओं के अनुसार, विजन टेस्ट मेमोरी टेस्ट से पहले ही कमियों का पता लगा सकते हैं.
डिमेंशिया के शुरुआती स्टेज
यह शोध डिमेंशिया के शुरुआती स्टेज का पता लगाने के लिए एक नया तरीका प्रदान करता है. इससे न केवल मरीजों को जल्द से जल्द उपचार मिल सकता है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है जिनमें अभी तक डिमेंशिया के लक्षण स्पष्ट रूप से विकसित नहीं हुए हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.