दांतों के बीच के गैप को मेडिकल भाषा में डायस्टेमा कहा जाता है. खासतौर पर यह ऊपर की दांतों में होता है. कुछ लोगों में यह बचपन से होता है, वहीं, कुछ लोगों में यह समस्या उम्र के साथ शुरू होती है. 


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हालांकि यह खुद किसी समस्या का कारण नहीं बनती. लेकिन दांतों और मसूड़ों में होने वाली बीमारियों का संकेत हो सकती है. हालांकि, आमतौर पर लोग इसे फ्लॉसिंग का साइड इफेक्ट समझते हैं. लेकिन हाल ही में वेस्ट मुंबई के बांद्रा में स्थित द पेनफ्री डेंटिस्ट में डॉ दीक्षा बत्रा ने इसके असली कारणों के बारे में बताया है-
 



क्या फ्लॉसिंग से टीथ गैप होता है?

डेंटिस्ट डॉ दीक्षा बत्रा बताती हैं कि फ्लॉसिंग से दांतों के बीच गैप नहीं बनता है; बल्कि, यह आपके मसूड़ों और दांतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है. नियमित रूप से फ्लॉसिंग करने से मसूड़ों की समस्या, कैविटी और दांतों के बीच प्लाक बनने से रोकने में मदद मिल सकती है.

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दांतों में गैप क्यों बढ़ने लगता है?


ओरल हाइजीन

खराब ओरल हाइजीन के कारण मसूड़ें पीछे की ओर खिंच सकते हैं, जिससे दांतों की जड़ें बाहर आ जाती हैं और गैप बन जाता है। अक्सर खराब ओरल हाइजीन, जैसे कम ब्रश करना, गलत तरीके से दांतों को ब्रश करना और मसूड़ों से जुड़ी बीमारी के कारण हो सकता है।


ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट

ब्रेसेस जैसे ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट के बाद दांत फिक्स होने के दौरान थोड़ा खिसक सकते हैं, जिससे दांतों के बीच गैप बन सकता है.  


नेचुरल बदलाव

नेचुरल कारणों से भी दांत के बीच में गैप आ सकता है. इसमें एजिंग, दांत पीसना, दांत भींचना जैसी आदतें शामिल है, जिससे दांत घिसते हैं और अपनी जगह से खिसकने लगते हैं.

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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.