भारतीय घरों में देर रात का खाना आम बात है. ज्यादातर परिवार के सदस्य रात 9 बजे या 9:30 बजे तक एक साथ बैठकर खाना खाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि देर रात का खाना कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है. अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग रात 9 बजे के बाद खाना खाते हैं, उनमें डायबिटीज, दिल की बीमारी, डायबिटीज और यहां तक ​​कि कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

'न्यूट्रिएंट्स' जर्नल में प्रकाशित 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, 'देर रात का खाना चूहों और मनुष्यों दोनों में ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म सहित मेटाबॉलिक संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देता है. वहीं इसके विपरीत शुरुआती समय-सीमित भोजन (ETRE) (जिसमें दिन का आखिरी भोजन पहले करना होता है) ब्लड शुगर, इंसुलिन सेंसिटिविटी, ब्लड प्रेशर और ट्राइग्लिसराइड्स पर पॉजिटिव प्रभाव डालता है, खासकर अधिक वजन या मोटे लोगों में.'


बेंगलुरु स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल्स के सलाहकार गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. प्रणव होन्नवारा श्रीनिवासन ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि रात का खाना जल्दी करने से शरीर में क्या बदलाव होते हैं और यह डेली रूटीन के लिए क्यों फायदेमंद हो सकता है. डॉ. श्रीनिवासन कहते हैं कि रात 9/9:30 बजे से रात का खाना बदलकर 6 बजे करने से आपके शरीर में कई बदलाव होते हैं. आपको शाम में एनर्जी में तुरंत वृद्धि का अनुभव होगा, क्योंकि आपका शरीर सोने से पहले भारी भोजन को पचाने में व्यस्त नहीं होगा. यह बदलाव रात में होने वाली सीने की जलन और अपच जैसी आम पाचन संबंधी परेशानियों को भी कम कर सकता है, क्योंकि आपके सोने से पहले आपके पेट को खाली होने का ज्यादा समय मिलता है. इसके अलावा, वे जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित शोध का हवाला देते हैं जो बताता है कि जल्दी खाना रात भर ब्लड शुगर के लेवल को अधिक स्थिर रखता है, जिससे नींद की क्वालिटी और सुबह की चुस्ती में सुधार हो सकता है.


पाचन क्रिया पर असर
डॉ. श्रीनिवासन के अनुसार, जल्दी भोजन करना आपके शरीर की नेचुरल सर्काडियन रिदम के साथ तालमेल बिठाता है. यह एक आंतरिक घड़ी है, जो मेटाबॉलिज्म सहित विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं को कंट्रोल करती है. देर रात का खाना इस लय को बाधित करता है, जिससे संभावित रूप से पाचन खराब होता है और वजन बढ़ने में योगदान होता है. वह आगे कहते हैं कि करंट बायोलॉजी में शोध दर्शाता है कि शाम 6 बजे तक भोजन खत्म करने के साथ शुरुआती समय-सीमित भोजन (ईटीआरएफ) उपवास ब्लड शुगर और इंसुलिन सेंसिटिविटी जैसे मेटाबॉलिक मार्करों को बेहतर करता है.


नींद की क्वालिटी पर असर
डॉ. श्रीनिवासन का कहना है कि शाम 6 बजे खाना खाने से सोने से पहले का समय ज्यादा मिलता है, जिससे पाचन क्रिया ठीक से हो पाती है और शरीर का तापमान और ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव के कारण नींद में खलल कम पड़ता है. इससे नींद गहरी और आरामदायक हो सकती है. वह बताते हैं कि इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओबेसिटी में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग जल्दी खाना खाने लगे, उनकी नींद की अवधि और क्वालिटी में सुधार हुआ, साथ ही अगले दिन ऊर्जा का स्तर भी बढ़ा.