मदर्स डे की शुरुआत कब हुई? जानिए इसके फाउंडर को बाद में क्यों होने लगा अफसोस
Mother`s Day: मदर्स डे को लेकर हम काफी बातें और चर्चाएं करते हैं, लेकिन क्या आप इसके इतिहास और इसके फाउंडर के बारे में जानते हैं?
Mother's Day History: इस बात से हम सभी वाकिफ हैं मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है, इसका मकसद हमारी जिंदगी में मां के योगदानों को याद करना है. इस दिन लोग मोबाइल से मां को प्यार भरे मैसेजेज करते हैं, उन्हें गिफ्ट देते हैं, या फिर उन्हें कहीं घुमाने ले जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत कब हुई, और इसके फाउंडर को बाद में क्यों अफसोस होने लगा.
मदर्स डे की शुरुआत कैसे हई?
अमेरिका की रहने वाली अन्ना जारविस (Anna Jarvis) की मां का निधन साल 1905 में हुआ था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अपनी मां की दूसरी पुण्यतिथि पर, अन्ना ने अपने वेस्ट वर्जीनिया वाले होमटाउन में आयोजित एक मेमोरियल सर्विस के लिए 500 सफेद कार्नेशन फूल खरीदे. उन्होंने अपनी मां एन रीव्स जारविस (Ann Reeves Jarvis) के सम्मान के लिए और सभी माताओं के लिए एक कैंपेन चलाया जिससे तहत अमेरिका में एक दिन की छुट्टी मिल सके. अन्ना की मां की मौत के 3 साल बाद मई 1908 में वेस्ट वर्जीनिया के ग्राफ्टन में पहला औपचारिक मदर्स डे सेलिब्रेट किया गया.
मई के दूसरे संडे को क्यों मनाया जाता है मदर्स डे?
1908 में मदर्स डे सेलिब्रेशन के बाद ये एक बड़ा अभियान बन गया. अन्ना जारविस ने अमेरिका के बड़ी हस्तियों को लेटर लिखा कि मदर्स डे को नेशनल हॉलीडे घोषित करना चाहिए. साल 1911 तक ये बात यूएस के हर स्टेट तक पहुंच चुकी थी, और आखिरकार साल 1914 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन (Woodrow Wilson) ने मई के दूसरे संड को मदर्स डे मनाने का ऐलान कर दिया.
फाउंडर को क्यों हुआ बाद में अफसोस?
धीरे-धीरे अमेरिका और पूरी दुनिया में मदर्स डे का कॉमर्सिएलाइजेशन होने लगा जो फाउंडर अन्ना जारविस को परेशान करने लगा. जिसके बाद बाकी जिंदगी वो इस बात को लेकर अफसोस करती रहीं. ये खास दिन 1920 की दशक के शुरुआत में काफी पॉपुलर होने लगा. मदर्स डे के कार्ड बेचे जाने लगे. अन्ना का मानना था कि इस व्यावसायीकरण ने मदर्स डे के आइडिया को बर्बाद कर दिया. वो इस बाद से सहमत नहीं थी कि लोग महंगे फूल, कार्ड्स और गिफ्ट जैसी चीजों पर पैसे खर्च करें और दूसरे को उसका फायदा पहुंचे. उन्होंने इस कॉमर्सिएलाइजेशन के खिलाफ लड़ने में अपनी काफी दौलत खर्च कर दी, नवंबर 1948 में अन्ना जारविस का निधन हो गया.