Physical And Sexual Violence Against Women By Intimate Partner: भारत समेत दुनियाभर में इंटिमेट पार्टनर के साथ महिलाओं के खिलाफ शारीरिक और यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुमान के मुताबिक दुनिया में हर 3 में से 1 महिला इस तरह के जुल्म की शिकार हैं, इसमें उनके  इंटिमेट और नॉन पार्टनर्स दोनों इंवॉल्व हैं. ये एक तरह का मेजर वूमेन हेल्थ प्रॉब्लम बन चुका है.


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इस एज ग्रुप की महिलाएं हैं ज्यादा प्रभावित
इनमें से 15 से 49 की उम्र की महिलाएं हैं जो वर्ल्डवाइड हिंसा की शिकार हैं, इंटिमेट पार्टनर से ऐसे जुल्म सहने वाली इस एज ग्रुप की महिलाएं तकरीबन 27 फीसदी हैं. इस तरह की हिंसा की वजह से वूमेन के फिजिकल, मेंटल, सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर असर पड़ता है और कुछ मामलों में एचआईवी इंफेक्शन का भी रिस्क बढ़ सकता है.


दुनिया में कहां ज्यादा पीड़ित हैं महिलाएं?
दुनिया के क्षेत्रों के हिसाब से लाइफटाइम इंटिमेट पार्टनर से हिंसा का शिकार होने वाली महिलाओं में 20 फीसदी वेस्टर्न पैसिफिक, 22 फीसदी यूरोप समेत हाई इनकम देशों, 25 फीसदी डब्ल्यूएचओ अमेरिकन रीजन, 33 फीसदी डब्ल्यूएचओ अफ्रीकी रीजन,  31 फीसदी डब्ल्यूएचओ ईस्टर्न मेडिटेरेनियन रीजन और 33 फसदी डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशियन रीजन शामिल हैं.



महिलाओं के खिलाफ हिंसा की वजह


1. शिक्षा की कमी
2. बचपन में मेल चाइल्ड पर जुल्म
3. फैमिली हिस्ट्री में हिंसा
4. एंटी सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर
5. शराब का सेवन 
6. हिंसक मर्दाना स्वभाव
7. मल्टिपल इंटिमेट पार्टनर
8. महिलाओं को इनकम न होना
9. जेंडर इक्वैलिटी की कमी
10. मैरिड लाइफ में दिक्कतें
11. पार्टनर के बीच कम्यूनिकेशन की कमी
12. मेट कंट्रोलिंग बिहेवियर
13. महिला की यौन पवित्रता को तरजीह देना
14. महिला अपराध कानून की कमी



महिलाओं की सेहत पर क्या असर होता है?


1. कई बार मौत या खुदकुशी का शिकार होना पड़ता है
2. तकरीबन 42 फीसदी महिलाओं को इंजरी हो जाती है
3. अनप्लांड प्रेग्नेंसी
4. एबॉर्शन, गाइनेक प्रॉलम्स
5. एचआईवी समेत अन्य यौन रोग 
6. मिसकैरेज
7. जन्म देने मे दिक्कत
8. प्रोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस
9. एंग्जाइटी डिसऑर्डर
10. नींद की कमी
11. डिप्रेशन



हिंसा रोकने की कोशिश
महिलाओं के खिलाफ शारीरिक और यौन हिंसाओं को रोका या कम किया जा सकता है, हेल्थ सेक्टर इसमें अहम रोल अदा कर सकते हैं. ऐसे विक्टिम को प्रोपर हेल्थ केयर और सपोर्ट दिया जा सकता है. कुछ मामलों में काउंसिलिग से भी मसले को सुलझाया जा सकता है.