Disadvantage of western toilet: मौजूदा दौर में ज्यादातर घरों में वेस्टर्न टॉयलेट (western toilet) का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता जा रहा है. इस टॉयलेट शीट के कई फायदे हैं. वेस्टर्न टॉयलेट खासकर उन लोगों के लिए काफी आरामदेय होता है जो जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं लेकिन इसका इस्तेमाल सेहतमंद लोग भी करते हैं. अब ज्यादातर घरों में और सार्वजनिक जगहों पर यह आपको देखने को मिलेगा. घर में टॉयलेट सीट लगाते हुए आपके दिमाग में यह ख्याल तो जरूर आता होगा कि कौन सा कमोड लगाया जाए. आइए जानते हैं कि इस सवाल पर एक्सर्पट्स क्या सोचते हैं.  


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एक्सपर्ट्स इस टॉयलेट सीट को मानते हैं बेहतर


1. एक रिसर्च में पाया गया कि जब कोई व्यक्ति इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करता है तो उसके पंजे से लेकर सिर तक पूरी बॉडी पर बल लगता है लेकिन वेस्टर्न टॉयलेट में आरामदायक सुविधा होती है जिससे इंसान बीमार होता है.


2. इंडियन टॉयलेट में पेट साफ होने में 3 से 3.5 मिनट का समय लगता है जबकि वेस्टर्न टॉयलेट में 5 से 7 मिनट तक का समय लगता है. इसके बाद भी आपका पेट ठीक से साफ नहीं होता है क्योंकि इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने से पेट और पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है. इसकी वजह से पेट जल्दी साफ हो जाता है.


3. इंडियन टॉयलेट की अपेक्षा वेस्टर्न टॉयलेट में जाने से संक्रमण का खतरा बढ़ता है जिससे पेचिश और पेट से जुड़ी कई दिक्कतें होती हैं क्योंकि वेस्टर्न टॉयलेट सीट आपके स्किन के संपर्क में आती है और स्किन कॉन्टैक्ट की वजह से कीटाणु आपको बीमार करते हैं.


4. प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के लिए इंडियन टॉयलेट को बेहतर बताया गया है. इसकी वजह से नॉर्मल डिलीवरी के चांस बढ़ते हैं. इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने से कब्ज की दिक्कत नहीं होती है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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