भोपाल: मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा किसान कर्ज माफी अब बीजेपी के लिए बड़ा हथि‍यार बन गई है. बीजेपी के नेता चुनाव में जनता को कर्ज माफी की हकीकत बताएंगे. BJP नेता यह भी बताएंगे कि राहुल गांधी ने कहा था कि दस दिन में दो लाख तक का किसानों का कर्ज माफ नही होगा तो दसवें दिन मुख्यमंत्री बदल देंगे. BJP नेता चुनाव प्रचार में पूछेंगे किसानों से की 2 लाख खाते में आए कि नहीं. 2 लाख का कर्ज माफ हुआ क्या. इसकी शुरुआत भी हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपनी सभाओं में कहना भी शुरू कर दिया है कि राहुल गांधी मिस लीड करने वाले नेता हैं.


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मप्र में कर्ज माफ हुआ नहीं और मुख्यमंत्री बदला नहीं. अब BJP का नारा भी आ गया है "कर्ज माफी धोखा है धक्का दो मौका है" BJP कमलनाथ सरकार की जय किसान ऋणमाफी योजना के एलान के बाद से कर्जमाफी प्रमाणपत्रों और इसके प्रचार अभियानों तक सरकार का मुखर विरोध करती रही है. इस लोकसभा चुनाव में कमलनाथ सरकार के खिलाफ उसी के हथियार से हमला करने की योजना बना रही है.


प्रदेश BJP इसके लिए एक ऐसे नारे को चुनाव मैदान में उछालने की तैयारी कर रही है, जो कर्जमाफी की पूरी कांग्रेसी कवायद को पंचर कर सकता है. BJP ने कर्जमाफी को असफल कवायद करार देते हुए चुनाव मैदान में इसे सिर्फ शिगूफा बताने एक नारा तैयार किया है जिसे लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान का हिस्सा बनाया जाएगा. यह नारा कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ ही किसानों को कर्ज माफी की हकीकत बताने लिए तैयार किया गया है.


कर्जमाफी धोखा है, धक्का दो मौका है. इस नारे को कमलनाथ सरकार के खिलाफ इस्तेमाल कर चुनावी सभाओं रैलियों में बुलन्द किया जाएगा. राहुल गांधी ने सत्ता में आने पर 10 दिन में कर्ज माफ करने की घोषणा की थी कांग्रेस सत्ता में आई और कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ देर बाद ही बड़ा फैसला लिया था. उन्होंने सबसे पहले किसानों के दो लाख रुपए तक के कर्ज माफ करने की फाइल पर हस्ताक्षर किए थे.


किसानों के दो लाख की सीमा तक का 31 मार्च, 2018 की स्थिति में बकाया फसल ऋण माफ करने का आदेश जारी कर दिया गया था. इस निर्णय से प्रदेश के लाखों किसान लाभान्वित होंने थे. फसल ऋण माफी पर संभावित व्यय 56 हजार करोड़ रुपए अनुमानित था. इसका किसानों को लाभ न मिलने का दावा करते हुए BJP प्रदेश भर में इसके लिए आंदोलन भी छेड़ चुकी है. BJP के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान से लेकर आम कार्यकर्ता तक कांग्रेस सरकार पर कर्ज माफी के नाम पर किसानो के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगा रहे हैं. शिवराज कहते हैं आचार संहिता का बहाना बताकर कमलनाथ सरकार कर्जमाफी से अपना पिंड छुटाना चाहती है. कर्जमाफी की प्रक्रिया पिछले दो माह से चल रही है. राज्य सरकार लाल-हरे-सफेद-गुलाबी आवेदन के नाम पर किसानों को बरगलाती रही और जब खातो में पैसा डालने का समय आया तो आचार संहिता का बहाना बना रही है.


इन किसानों के कर्ज माफ होंगे
31 मार्च 2018 तक बैंकों के खातों में जिन किसानों पर फसल कर्ज होगा वो माफ हो जाएगा.
जिन किसानों ने 31 मार्च 2018 को बकाए कर्ज का 12 दिसंबर 2018 तक पूरा या आंशिक चुका दिया है तो वो भी माफ हो जाएगा.
1 अप्रैल 2007 के बाद लिए गए कर्ज जो 31 मार्च 2018 तक नहीं चुकाए गए या बैंकों ने जिन्हें एनपीए घोषित कर दिया हो उनको भी फायदा मिलेगा, जिन्होंने 12 मार्च तक लोन पूरा या आंशिक तौर पर चुका दिया है. मतलब जो कर्ज अदा किया गया है वो उनको वापस कर दिया जाएगा.