चुनाव प्रचार में `निरहुआ` ने कहा था, `मुझे भगवान भी नहीं हरा सकते`, अब सवा लाख वोट से पीछे
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए गुरुवार को हो रही वोटों की गिनती में अभी तक प्राप्त रुझानों के अनुसार बीजेपी करीब 300 सीटों के साथ फिर से सत्ता में वापसी करती दिख रही है. हालांकि आजमगढ़ के बीजेपी प्रत्याशी और भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेशलाल यादव उर्फ निरहुआ बहुत पिछड़ते नजर आ रहे हैं.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए गुरुवार को हो रही वोटों की गिनती में अभी तक प्राप्त रुझानों के अनुसार बीजेपी करीब 300 सीटों के साथ फिर से सत्ता में वापसी करती दिख रही है. दोपहर तीन बजे तक प्राप्त रुझानों के अनुसार, बीजेपी देशभर में 300 सीटों पर आगे चल रही है. कांग्रेस 50 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. 'बीजेपी की सुनामी' में विपक्ष पूरी तरह से पस्त हो गया है. हालांकि आजमगढ़ के बीजेपी प्रत्याशी और भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेशलाल यादव उर्फ निरहुआ बहुत पिछड़ते नजर आ रहे हैं. निरहुआ ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि भगवान भी उन्हें नहीं हरा सकते. उनका यह विवादित बयान काफी चर्चा में रहा था. आजमगढ़ में निरहुआ का सामना सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से है.
सवा लाख वोट से पिछड़ रहे निरहुआ
अब तक की मतगणना में, अखिलेश यादव को 308120 वोट मिले हैं जबकि निरहुआ को मात्र 174439 वोट मिले हैं. बीजेपी ने निरहुआ पर भरोसा जताते हुए उन्हें आजमगढ़ सीट फतह करने की जिम्मेदारे सौंपी थी, यहां तक कि पीएम मोदी ने यहां पर रैली भी की थी लेकिन नतीजा सपा के पक्ष में आ रहे हैं. 2014 में हुए आम चुनाव ने मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ और मैनपुरी सीट से चुनाव लड़ा था. दोनों ही सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद मुलायम ने आजमगढ़ को ही अपना संसदीय क्षेत्र चुना था. मुलायम सिंह ने बीजेपी के उम्मीदवार और अपने राजनीतिक शागिर्द रमाकांत यादव को हराया था. मुलायम को चुनाव में 3,40,306 वोट हासिल हुए थे. वहीं, रमाकांत को 2,77,102 वोट मिले थे. मुलायम ने दूसरे स्थान पर रहे बीजेपी प्रत्याशी रमाकांत को करीब 63,000 वोटों से शिकस्त दी थी. वहीं, बसपा के शाह आलम 2,66,528 वोट के साथ इस सीट पर तीसरे स्थान पर रहे थे.
आजमगढ़ में यादव सबसे प्रभावशाली
आजमगढ़ में यादव सबसे प्रभावशाली पिछड़ी जाति है. प्रदेश की दलित आबादी में 56 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली जाटव बिरादरी बसपा की वफादार मानी जाती है. वर्ष 1996 से आजमगढ़ में सिर्फ मुस्लिम और यादव उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं. रमाकांत यादव ने यहां वर्ष 1996 और 1999 में सपा प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी. वह वर्ष 2004 में बसपा और 2009 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे. वर्ष 1998 और 2008 में इस सीट पर हुए उपचुनावों में बसपा के अकबर अहमद डम्पी ने फतह हासिल की थी. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी उम्मीदवार रमाकांत यादव को करीब 63 हजार मतों से हराया था.