नई दिल्लीः अपनी बातों को बेबाक अंदाज में कहने वाले और अक्सर अपने बयानों की वजह से चर्चाओं में रहने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार भी हैदराबाद से जीत हासिल की है. हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र पर असदुद्दीन की पकड़ कितनी मजबूत है, इसका अंदाजा सबको इसी से लगाया जा सकता है कि 2004 से वह यहां से लगातार जीतते आ रहे हैं और एक बार फिर उन्होंने यह सिलसिला कायम रखा है. हालांकि, बड़ी बात यह है कि ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रत्याशी ने महाराष्ट्र की औरंगाबाद लोकसभा सीट से भी अपनी जीत का परचम लहरा दिया है.


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इस सीट से एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के उम्मीदवार इम्तियाज जलील ने जीत हासिल की. ये पहली बार है कि लोकसभा में एआईएमआईएम के अब दो सांसद होंगे. असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील. इम्तियाज जलील ने पत्रकारिता से अपने करियर की शुरूआत की  थी. 2014 में इम्तियाज औरंगाबाद से औवेसी की पार्टी से विधायक भी चुने गए. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों की संख्या निर्णायक भूमिका में है, और इस सीट पर एमआईएम को प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी पार्टी का समर्थन भी हासिल था.



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राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि ओवैसी ने देशभर के मुसलमानों के बीच अपनी सियासी ताकत को बढ़ाया है, औरंगाबाद की जीत इसी का उदाहरण है. महाराष्ट्र में मिली इस जीत से एनसीपी और कांग्रेस दोनों परेशान हो सकते हैं, क्योंकि महाराष्ट में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में औरंगाबाद समेत कई इलाकों में ओवैसी की पार्टी एमआईएम के उम्मीदवार एनसीपी और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. अब तक हैदराबाद को ही अपने मज़बूत किले के तौर पर स्थापित करने वाले असदुद्दीन ओवैसी राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी पार्टी का विस्तार तेजी से कर रहे हैं.


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ओवैसी की पार्टी ने बिहार के किशनगंज से भी अख्तरुल ईमान को अपना उम्मीदवार बनाकर खड़ा किया था, हालांकि वो चुनाव हार गए. जिस मोदी लहर में आसम में बदरुदीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ का सिर्फ एक सांसद जीत पाया, उसी लहर के बीच एमआईएम ने दो सीट हासिल कर ली. हैदराबाद से बाहर असदुद्दीन ओवैसी की सियायत मुस्लिम और दलित वोटों के सहारे आगे बढ़ रही है, जो आने वाले दिनों में कई पार्टीयो को परेशान कर सकती है.