नई दिल्ली: देश में 2019 का लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में हो रहा है. 2014 में देश के उत्तर-पूर्व में स्थित असम में मोदी लहर में प्रदेश के 14 में से 7 लोकसभा सीटें जीतने वाली बीजेपी की डगर इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान काफी मुश्किल दिख रही है. आइए जानते हैं मंगलदोई लोकसभा सीट के बारे में. इस सीट पर 18 अप्रैल को मतदान हो चुका है. 


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मंगलदोई लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास 
असम का मंगलदोई लोकसभा सीट (Managaldoi Parliamentary Constituency) को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. यहां से 2014 के चुनाव के दौरान मुख्य मुकाबला बीजेपी के रमेन डेका और कांग्रेस के कीरिप छलीहा के बीच रहा था. इस चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी ने कांग्रेस उम्मीदवार को 22,847 मतों से मात दी थी. जहां बीजेपी के विजेता उम्मीदवार को इस चुनाव में 4,86,357 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में 4,63,473 वोट मिला था. जबकि तीसरे स्थान पर रहे बीपीएफ के उम्मीदवार सहदेव दास को 86,347 वोट मिला था. 



2019 के लोकसभा चुनाव में मंगलदोई लोकसभा सीट पर बीजेपी और विपक्षी दल में काफी कड़ी टक्कर मानी जा रही है. 2004 से लेकर अब तक बीजेपी इस सीट को लगातार जीत रही है. लेकिन एंटी-इंक्मबेंसी को देखते हुए इस बार के चुनाव के दौरान पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदला है. लगातार दो बार चुनाव जीतने वाले रमन डेका की जगह बीजेपी ने प्रदेश महासचिव दिलीप साइकिया को टिकट दिया है. वहीं, उनके खिलाफ मैदान में असम कांग्रेस के अध्यक्ष भुवनेश्वर कलिता है.  


देश के उत्तर-पूर्व (North-east) में स्थित राज्य असम में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार है. यहां से लोकसभा चुनाव 2014 (loksabha election 2014) के दौरान राज्य की 14 संसदीय सीटों में से बीजेपी ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा कांग्रेस (Congress) के खाते में 3 जबकि आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट(Aiudf) ने 4 सीटें जीती थी. 


वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान यहां से कांग्रेस ने 7, बीजेपी ने 4 जबकि अन्य ने 9 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. जिसमें, 1 सीट असम गण परिषद (AGP) और 1 सीट बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (BDF) ने जीता था. 


आपको बता दें कि, 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर के प्रभाव के कारण असम के लोगों ने बीजेपी नीत गठबंधन को 7 सीटें दी थी. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी-आसु (Aasu) के बीच चल रहा विवाद, बीजेपी के नेताओं से उनकी नाराजगी का राज्य के चुनाव परिणाम पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है.


इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नेशनल वोर्टस रजिस्टर, नागरिकता के कानून में बदलाव (amedment in citizenship bill) के अलावा असम अकार्ड (Assam Accord) को लागू करना एक बड़ा मुद्दा है.