नई दिल्ली : 2016 में जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद महबूबा मुफ्ती 2019 के लोकसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रही हैं. महबूबा मुफ्ती के इस्तीफा देते ही यह सीट खाली हो गई और दो सालों बाद भी यहां पर चुनाव नहीं हो सका.


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अशांति और घटनाएं जिम्मेदार
जम्मू कश्मीर के अनंतनाग लोकसभा सीट पर दो सालों तक उपचुनाव न होने का मुख्य कारण घाटी में होने वाली आतंकी गितिविधियां और अशांति का माहौल बताया जा रहा है. घाटी में आतंकी गतिविधियां बढ़ने और सेना की कार्रवाई के बाद अशांति फैलने के कारण ही यहां की राजनीति काफी गहरा गई है. 


चुनाव आयोग के अगर आंकड़ों को देखें तो 1996 में छह महीने के भीतर उपचुनाव कराने के कानून के बाद यह सबसे ज्यादा समय तक रिक्त रहने वाली सीट है. इस सीट से महबूबा के अलावा पीडीपी अध्यक्ष रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मोहम्मद शफी कुरैशी भी सांसद बन चुके हैं. यह सीट पीडीपी का गढ़ है. 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में अनंतनाग की 16 विधानसभा सीटों में से 11 सीटों पर पीडीपी जीती थी.


सबसे कम मतदान प्रतिशत
जम्मू कश्मीर के अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र में हमेशा से ही मतदान सुरक्षाबलों और चुनाव आयोग के अधिकारियों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है. 2014 के चुनाव में यहां 28 फीसदी मतदान हुआ था और कुछ ऐसा ही आलम इन चुनावों का भी है. इन चुनावों में अनंतनाग सीट पर महज 10 फीसदी लोगों ने ही अपने अधिकार का इस्तेमाल किया है. जिसके कारण एक बार फिर इस बात की सुगबुगाहट तेज हो गई है कि अब क्या होगा