लखनऊ: लोकसभा चुनावों से ठीक पहले BJP ने एक कड़ा और अनुशासनात्मक कदम उठाते हुए अपने एक वरिष्ठ नेता को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का फैसला लिया है. दरअसल, पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के पूर्व दर्जा मंत्री आईपी सिंह को पार्टी से 6 साल के लिए बाहर कर दिया है. आपको जानकारी दे दें कि रविवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ने के फैसले पर खुशी व्यक्त की थी और ट्वीट कर अपने घर मे चुनाव कार्यालय बनाने का आग्रह किया था.


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आजमगढ़ के ही रहने वाले हैं आईपी सिंह
आपको बता दें कि आईपी सिंह पार्टी के प्रवक्ता भी रहे हैं और कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. यहां आपको यह भी बता दें कि टीवी चैनलों पर डिबेट में अक्सर बीजेपी का पक्ष रखने वाले आइपी सिंह मूलत: आजमगढ़ के ही निवासी हैं. यही वजह है कि अखिलेश के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने के बाद उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था, "माननीय अखिलेश यादवजी का आजमगढ़ पूर्वांचल से लोकसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा होने के बाद पूर्वांचल की जनता में खुशी की लहर, युवाओं में जोश, आपके आने से पूर्वांचल का विकास होगा. जाति और धर्म की राजनीति का अंत होगा, मुझे खुशी होगी यदि मेरा आवास भी आपका चुनाव कार्यालय बने."



'चौकीदार' नहीं 'उसूलदार' हैं आईपी सिंह
यहां गौर करने वाली एक बात और है कि बीजेपी के सभी नेता, जहां ट्विटर पर नाम के आगे 'चौकीदार' लगा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर आईपी सिंह ने अपने नाम के आगे 'उसूलदार' लिख रखा है. उनके ट्विटर अकाउंट पर नजर दौड़ाएं तो ज्यादातर ट्वीट उनके बागी तेवर दर्शाते ही नजर आते हैं.


पहले भी बीजेपी से निष्कासित किए जा चुके हैं आईपी सिंह
आईपी सिंह ने कुछ साल पहले बीजेपी में दागी नेता बाबू सिंह कुशवाहा के शामिल किए जाने पर भी आपत्ति दर्ज कराई थी. उसके बाद उन्हें कुछ समय के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. हालांकि कुछ समय बाद उन्हें पार्टी में वापस ले लिया गया था. लेकिन इस बार जिस तरह उन्होंने ट्वीट पर अखिलेश यादव के पक्ष में बातें कही हैं उससे इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि वे जल्द ही समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं.