नई दिल्ली: देश में 2019 का लोकसभा चुनाव मई में होने की संभावना है. इस बीच कई राज्यों में राजनीतिक दलों ने अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है. 2014 में देश के उत्तर-पूर्व में स्थित असम में मोदी लहर में 14 में से 7 लोकसभा सीटें जीतने वाली बीजेपी की डगर इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान काफी मुश्किल दिख रही है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

करीमगंज लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास 


अनुसुचित जाति के लिए सुरक्षित करीमगंज लोकसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. अब तक हुए लोकसभा चुनाव में 9 बार कांग्रेस उम्मीदवार यहां से जीत चुके हैं. असम के इस लोकसभा सीट (karimganj Parliamentary Constituency) से 2014 के चुनाव के दौरान आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के उम्मीदवार राधेश्याम विश्वास ने बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण दास को 1,02,094 मतों से चुनाव में मात दी थी. आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के विजेता उम्मीदवार को इस चुनाव में 3,62,866 मत मिला था.


वहीं, बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में 2,60,772 मत पड़ा था. इस चुनाव के दौरान तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार ललित मोहन शुक्लवैद्य ने 2,26,562 मत पाकर चुनावी संघर्ष को त्रिकोणीय बना दिया था. 


जबकि 2009 के चुनाव के दौरान कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे ललित मोहन ने एयूडीएफ के उम्मीदवार राजेश मल्लाह को 7,924 मतों से मात दी थी. इस चुनाव में कांग्रेस के विजेता उम्मीदवार को 2,59,567 मत मिला था. जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी एयूडीएफ के उम्मीदवार के पक्ष में 2,51,643 मत मिला. वहीं, तीसरे पायदान पर रहे बीजेपी उम्मीदवार सुधांशु दास को 1,14,892 मत मिला था. 


देश के उत्तर-पूर्व (North-east) में स्थित राज्य असम में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार है. यहां से लोकसभा चुनाव 2014 (loksabha election 2014) के दौरान राज्य की 14 संसदीय सीटों में से बीजेपी ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा कांग्रेस (Congress) के खाते में 3 जबकि आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट(Aiudf) ने 4 सीटें जीती थी.  


वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान यहां से कांग्रेस ने 7, बीजेपी ने 4 जबकि अन्य ने 9 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. जिसमें, 1 सीट असम गण परिषद (AGP) और 1 सीट बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (BPF) ने जीता था. 


आपको बता दें कि, 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर के प्रभाव के कारण असम के लोगों ने बीजेपी नीत गठबंधन को 7 सीटें दी थी. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी-आसु (AASU) के बीच चल रहा विवाद, बीजेपी के नेताओं से उनकी नाराजगी का राज्य के चुनाव परिणाम पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है. 


इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नेशनल वोर्टस रजिस्टर, नागरिकता के कानून में बदलाव (amedment in citizenship bill) के अलावा असम अकार्ड (Assam Accord) को लागू करना एक बड़ा मुद्दा हो सकता है.