नई दिल्‍ली : लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) का परिणाम 23 मई को आ रहा है. उत्‍तर प्रदेश की पीलीभीत लोकसभा सीट इस बार भी हॉट सीट के रूप में है. पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट मानी जाती है. 'बांसुरी नगरी' के नाम से प्रसिद्ध पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में बांसुरी बनाने का कारोबार होता है. पीलीभीत लोकसभा सीट यूपी की वो लोकसभा सीट है, जहां गांधी परिवार का दबदबा रहा, लेकिन कभी कांग्रेस पार्टी का दबदबा नहीं रहा. कांग्रेस यहां सिर्फ 4 बार ही जीती है. 


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अमेठी और रायबरेली के अलावा पीलीभीत ऐसी लोकसभा सीट है. जहां, पिछले करीब तीन दशक से संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और बेटे वरुण गांधी का ही राज रहा है. मेनका गांधी मंत्री होने के साथ-साथ पर्यावरण कार्यकर्ता भी हैं. मेनका गांधी ने साल 1992 में पीपल फॉर एनिमल्स नामक एक गैर-सरकारी संगठन आरंभ किया जो पूरे भारत में पशु आश्रय चलाता है.


 



4 बार आई कांग्रेस, 6 बार सांसद रहीं मेनका
1952 में यहां पहली बार आम चुनाव हुए थे. जिसे कांग्रेस नेता मुकुंद लाल अग्रवाल ने जीता था. इसमें कांग्रेस को जीत मिली थी. 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के मोहन स्वरुप ने यहां जीत हासिल की. उन्होंने इस सीट पर लगातार 4 बार सफलता हासिल की. 


साल 1977 में भारतीय लोकदल ने यहां जीत दर्ज की. 1980 में कांग्रेस नेता संजय गांधी की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी, जिसके बाद से ही मेनका गांधी ने कांग्रेस से दूरी बनाना शुरू कर दिया था. साल 1980 और 1984 में यहां कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन साल 1989 में मेनका गांधी ने जनता दल की के टिकट पर पीलीभीत से सांसद का चुनाव लड़ा और भारी जीत दर्ज की. 2004 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थीं. 1989 से लगातार मेनका गांधी यहां से चुनाव लड़ रही हैं. साल 2009 में उन्होंने अपनी जगह अपने बेटे वरुण गांधी यहां से चुनाव लड़ाया था. मेनका गांधी 6 बार पीलीभीत से सांसद बनी हैं.


2014 में क्या रहा था समीकरण
पीलीभीत लोकसभा सीट से वर्तमान सासंद केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी सांसद हैं. मेनका गांधी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को भारी अंतर से पराजित किया. इस सीट पर सामाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर, बहुजन समाज पार्टी तीसरे और कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी.